बिहार में सत्ताधारी दल जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने मंगलवार को मुख्य विपक्षी दल राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के पहले मुख्यमंत्री काल पर तंज कसा। संजय झा ने मीडिया से कहा कि जब 1991 में देश में संचार क्रान्ति हो रही तब बिहार में चरवाहा विद्यालय और अपहरण उद्योग खुल रहे थे। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव 1991 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। हालाँकि तब लालू यादव जनता दल के नेता था। लालू यादव ने चारा घोटाले में आरोपी बनाये जाने के बाद 1997 में जनता दल से अलग होकर अपनी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) बना ली थी।
जेडीयू के राज्य सभा सांसद संजय झा ने कहा कि एनडीए बिहार चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। यह एकतरफ़ा चुनाव होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में दोहरे अंकों में विकास हुआ है। बिहार तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
संजय झा ने कहा, “जो रुझान हम देख रहे हैं यह एकतरफा चुनाव है। बिहार की जनता देख रही है एक 1991 का दौर था, जब उदारीकरण का दौर आया उस समय देश के अन्य हिस्सों में आईटी इंडस्ट्री खुल रही थी, इनवेस्टमेंट आ रहा था, बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशन खुल रहे थे और यहां पर चरवाहा विद्यालय खुल रहा था। यहां अपहरण का उद्योग खुल रहा था, बिहार की निगेटिव ग्रोथ थी और बिहार 15 साल में ऐसा पिछड़ा की देश-दुनिया में बिहारी कहने में शर्म आने लगी।”
जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष ने आगे कहा, “नीतीश कुमार के आने के बाद से डबल-डिजिट में ग्रोथ हुई। सड़क हो, बिजली हो, पानी हो हर जगह उन्होंने 20 साल में सुधारा है। बिहार टेक-ऑफ स्टेट में है अगले 5 सालों में बिहार देश के टॉप 10 स्टेट्स में होगा। इससे पहले सोमवार को बिहार चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही जनता दल (यूनाइटेड) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बनने का भरोसा जताया था।
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कब होंगे बिहार में विधानसभा चुनाव?
राज्य में दो चरणों में वोट डाले जाएंगे। निर्वाचन आयोग ने सोमवार को घोषणा की कि 243 सदस्यीय विधानसभा की 121 सीटों पर 6 नवंबर को जबकि शेष 122 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 14 नवंबर 2025 को की जाएगी।
बिहार चुनाव की तारीखों पर क्या बोले कांग्रेस?
वहीं विपक्षी ‘महागठबंधन’ की सहयोगी कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि आयोग ने पार्टी के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया है। कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा सत्तारूढ़ भाजपा और निर्वाचन आयोग के गठबंधन का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “हमारे सवालों का कोई जवाब नहीं मिलता। हर दिन आयोग से सवाल किए जा रहे हैं लेकिन जवाब नहीं आता। उन्होंने एक ऐसा माहौल बनाया मानो राज्य में अवैध प्रवासी हैं लेकिन वे प्रवासी कहां हैं? इसका जवाब नहीं मिला।”
पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि सोमवार को चुनाव की घोषणा इसलिए की गई ताकि सत्तारूढ़ गठबंधन को लोगों के हाथों में पैसा पहुंचाने का समय मिल सके। उन्होंने कहा, “अगर यह भाजपा और निर्वाचन आयोग का गठबंधन नहीं है, तो फिर क्या है? मुद्दा सिर्फ ‘वोट चोरी’ नहीं है बल्कि यह भी है कि आपने बीते 20 साल में जनता के साथ क्या किया आपने पेंशन, राशन और नौकरियां छीनीं।”
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