बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बुजुर्ग मतदाताओं की अहम भूमिका एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में है। राज्य के कुल 7.43 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 1.10 करोड़ की आयु 60 वर्ष से अधिक है। यानी करीब 15 फीसद मतदाता ऐसे हैं जो उम्र के इस पड़ाव पर अपनी स्थिर आय और सामाजिक सुरक्षा की उम्मीद के साथ मत डालेंगे।
दिलचस्प बात यह है कि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों इसी आयु वर्ग में शामिल हैं, लेकिन दोनों प्रमुख गठबंधनों – राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी महागठबंधन—की ओर से इस तबके के लिए पेंशन से आगे बढ़कर कोई ठोस नीति या दीर्घकालिक कल्याणकारी पहल सामने नहीं आई है।
400 से 1100 प्रति माह हुई बुजुर्गों की पेंशन
राजग की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव की घोषणा से पहले ही वृद्धजन कल्याण को लेकर एक बड़ी घोषणा की थी। राज्य सरकार ने बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन को मौजूदा 400 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 1,100 रुपए प्रति माह कर दिया है। यह निर्णय सीधे तौर पर करीब एक करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को लाभ पहुंचाने वाला माना जा रहा है। बिहार भाजपा के प्रवक्ता नीरज कुमार ने दावा किया है कि यह राशि सीधे लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजी जा रही है ताकि भ्रष्टाचार या बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो सके। राजग अपनी अन्य योजनाओं के जरिए भी इस वर्ग तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है।
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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बिहार में 2025 तक 10 लाख नए घर बनाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें बुजुर्गों को प्राथमिकता देने की बात कही जा रही है। साथ ही, आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 70 वर्ष से अधिक आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों को पांच लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा दिए जाने की सुविधा को भी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है। वहीं, विपक्षी महागठबंधन ने मंगलवार को जारी अपने घोषणा पत्र में बुजुर्गों के हित में एक बड़ा वादा किया है। महागठबंधन ने कहा है कि उसकी सरकार आने पर राज्य के सभी पात्र वृद्धजनों को प्रति माह 1,500 रुपए पेंशन दी जाएगी और हर वर्ष इसमें 200 रुपए की वृद्धि की जाएगी। यानी अगले पांच वर्षों में यह राशि 2,500 रुपए मासिक तक पहुंच जाएगी।
बुजुर्ग वोटर निभा सकते हैं निर्णायक भूमिका
दोनों गठबंधनों के वादों में इस बात की कमी दिखती है कि राज्य में तेजी से बढ़ रही वृद्ध आबादी को लेकर दीर्घकालिक सामाजिक और स्वास्थ्य ढांचे पर कोई गंभीर चर्चा नहीं हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पेंशन राशि बढ़ाना आवश्यक कदम है लेकिन वृद्धाश्रमों, घरेलू देखभाल सेवाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर सरकारों का ध्यान उतना नहीं है। स्पष्ट है कि बिहार की चुनावी जंग में बुजुर्ग मतदाता एक ऐसा वर्ग हैं जो निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
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पिछले चुनावों में उनकी मतदान दर 60 फीसद से अधिक रही है। ऐसे में जो दल उन्हें न सिर्फ पेंशन, बल्कि सम्मान और सुरक्षा का भरोसा देगा, वही उनके दिल और मत दोनों जीत सकता है।
