विधानसभा को लेकर चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच गया है। इसमें कुछ ऐसे विधानसभा भी हैं जहां पिछले (वर्ष 2020) चुनाव में जीत का अंतर 12 वोट के करीब रह गया था। उक्त सीटों पर परिणाम घोषित होने तक हारने और जीतने वाले दोनों उम्मीदवार के दिल की धड़कन घट-बढ़ रही थी।
दरअसल, पिछले चुनाव में मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, बेगूसराय, खगड़िया, शेखपुरा, नालंदा, कैमूर, रोहतास, जमुई और बेगूसराय जिले की 11 विधानसभा में जीत का आंकड़ा एक हजार से कम मतों का रहा। इसमें सबसे ज्यादा जद (एकी) ने चार सीटों पर काफी कम अंतर से जीत दर्ज की।
इसमें भोर, परबत्ता, बरबीघा और हिलसा विधानसभा शामिल हैं। वहीं राजद ने 3 सीटें जीतीं। इसमें कुरहनी, रामगढ़ और डेहरी विधानसभा सीट शामिल हैं। भाजपा ने 2 सीटें बछवारा और बखरी जीतीं। भाकपा और लोजपा (रामविलास) को एक-एक सीट मिली, जबकि चकाई सीट से निर्दलीय सुमित कुमार सिंह ने सबको चौंकाते हुए जीत दर्ज की।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार सबसे रोमांचक मुकाबला हिलसा विधानसभा (नालंदा) में हुआ। जहां जद(एकी) के कृष्ण मुरारी शरण ने राजद के शक्ति सिंह यादव को मात्र 12 मतों से हराया। यह अंतर पूरे चुनाव का सबसे कम रहा। हिलसा का परिणाम देर रात तक टकटकी लगाए देखने वालों के लिए किसी रोमांचक फिल्म से कम नहीं था।
लोजपा और निर्दलीय को एक-एक सीट पर मिली थी जीत
मुजफ्फरपुर जिले की कुरहनी सीट पर भी कड़ा मुकाबला देखने को मिला। यहां राजद के अनिल कुमार सहनी ने भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को केवल 712 मतों से मात दी। वहीं गोपालगंज जिले की भोर (अजा) सीट पर जद (एकी) के सुनील कुमार ने भाकपा (माले) के जितेंद्र पासवान को 462 मतों से हराकर अपनी जीत दर्ज की।
‘पैसे की ताकत’ को दे रहे हैं चुनौती, सीपीआई (एमएल) उम्मीदवार के पास सिर्फ 37 हजार रुपये की संपत्ति
बेगूसराय जिले की तीन सीटें-बछवारा, मटिहानी और बखरी भी इस रोमांचक सूची में शामिल हैं। बछवारा में भाजपा के सुरेंद्र मेहता ने भाकपा के अवधेश राय को मात्र 484 मतो से हराया। मटिहानी में लोजपा के राजकुमार सिंह ने जद (एकी) के नरेंद्र सिंह को 333 मतों से पछाड़ा। वहीं बखरी (आरक्षित) सीट पर भाकपा के सूर्यकांत पासवान ने भाजपा के रामशंकर पासवान को 777 वोटों से मात दी।
