Bihar election 2020: बिहार विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ एक माह का वक्त बचा है। इस बीच राज्य में एनडीए और राजद नीत महागठबंधन के अलावा तीसरे फ्रंट की भी सुगबुगाहट सुनायी दे रही है। दरअसल कई छोटी पार्टियां एक साथ आने पर विचार कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि रालोसपा चीफ उपेन्द्र कुशवाहा ने साफ कर दिया है कि वह राजद नीत महागठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी यादव द्वारा किया जाना बिल्कुल स्वीकार नहीं करेंगे। इसके बाद से ही रालोसपा के एनडीए में जाने की चर्चाएं हैं। हालांकि खबरें आ रही हैं कि एनडीए के साथ भी उनकी बातचीत नहीं बन पा रही है।
अब उपेन्द्र कुशवाहा कई छोटी पार्टियों को एकजुट कर थर्ड फ्रंट बनाने पर विचार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, उपेन्द्र कुशवाहा, ‘जन अधिकार पार्टी’ के नेता पप्पू यादव के साथ बातचीत कर रहे हैं। साथ ही वह ‘विकासशील इंसान पार्टी’ के मुकेश सहनी के भी संपर्क में हैं। असदुद्दीन ओवैसी की ‘एआईएमआईएम’ और ओम प्रकाश राजभर की ‘सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी’ के साथ भी उनकी बातचीत हो रही है। रालोसपा सूत्रों के अनुसार, इन सभी छोटी पार्टियों के साथ जारी बातचीत अभी प्रारंभिक स्तर पर ही है।
थर्ड फ्रंट की चर्चा ऐसे वक्त हो रही है चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा एनडीए में तनाव बढ़ा रही है। साथ ही राजद नीत महागठबंधन में भी सब कुछ ठीक नहीं है। हालांकि कांग्रेस, जो कि महागठबंधन का हिस्सा है, का कहना है कि छोटी पार्टियां सिर्फ ज्यादा सीटें पाने के लिए ऐसी चाल चल रही हैं।
वहीं ‘वंचित बहुजन अघाड़ी पार्टी’ के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने भी अपने एक बयान में कहा है कि वह बिहार चुनाव में एनडीए के विरोधी और समान मानसिकता वाले दलों से हाथ मिलाएंगे। हालांकि अभी तक उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह किसी पार्टी के साथ हाथ मिलाने जा रहे हैं लेकिन चर्चाएं हैं कि यदि बिहार में तीसरे फ्रंट का गठन होता है तो वह उसका हिस्सा बन सकते हैं।
तेजस्वी यादव को हो सकता है नुकसानः लालू प्रसाद यादव के जेल में होने के चलते पहले ही राजद वैसे ही परेशानी में घिरी नजर आ रही है। वहीं थर्ड फ्रंट से उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। दरअसल राजद का मुख्य वोटबैंक यादव-मुस्लिम गठजोड़ है। ऐसे में यदि थर्ड फ्रंट बनता है तो इस वोटबैंक में सेंध लग सकती है क्योंकि जिन पार्टियों के गठबंधन करने की चर्चाएं हैं उनका वोटबैंक भी ओबीसी, यादव और मुस्लिम ही हैं। रालोसपा का वोटबैंक जहां कुशवाहा (कोरी) हैं। वहीं एआईएमआईएम मुस्लिम, जाप पार्टी यादव और बसपा दलित वोटबैंक की पार्टी मानी जाती हैं।
हालांकि इन छोटी पार्टियों का अभी बिहार में कोई खास जनाधार नहीं है लेकिन यह पार्टियां वोट काट सकती हैं और जिन सीटों पर कांटे की टक्कर होने की संभावना है वहां ये संभावित तीसरा मोर्चा काफी अहम साबित हो सकता है।