बिहार में विपक्षी महागठबंधन की पार्टियां लंबे समय से मांग कर रही थीं कि एक समन्वय समिति बनायी जाए जो मिलकर गठबंधन की रणनीति बनाए। अब लगता है कि समन्वय समिति बनाने की दिशा में महागठबंधन की पार्टियों ने कदम बढ़ा दिए हैं। शुक्रवार को गठबंधन की सभी पार्टियों के प्रतिनिधि फेस टु फेस मिले, जो कि लॉकडाउन के बाद पहली मुलाकात की थी। इस बैठक में कांग्रेस की तरफ से शक्तिसिंह गोहिल, राजद की तरफ से मनोज झा, रालोसपा की तरफ से उपेन्द्र कुशवाहा, हम नेता जीतनराम मांझी शामिल हुए।
गौरतलब है कि इस बैठक में वामपंथी नेता डी राजा और सीताराम येचुरी भी शामिल हुए। हालांकि वामपंथी पार्टियां अभी बिहार में महागठबंधन का हिस्सा नहीं हैं लेकिन अब इन नेताओं के शामिल होने से लग रहा है कि वामपंथी पार्टियां भी एनडीए के खिलाफ ताल ठोकने के लिए महागठबंधन का हिस्सा बन सकती हैं।
चुनाव आयोग से मिले महागठबंधन के नेताः विपक्षी महागठबंधन के नेता शुक्रवार को चुनाव आयोग से भी मिले। इन नेताओं का कहना है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव पूरी तरह से डिजिटल नहीं हो सकते। साथ ही महागठबंधन के नेताओं ने चुनाव आयोग से डिजिटल चुनाव प्रचार की खर्च सीमा तय करने की भी मांग की। नेताओं का कहना है कि डिजिटल चुनाव प्रचार से राज्य की दो तिहाई जनता चुनाव प्रचार की प्रक्रिया से अछूती रह जाएगी।
बता दें कि कई राजनैतिक पार्टियां बिहार चुनाव को फिलहाल रद्द करने की मांग कर चुकी हैं। जिनमें राजद प्रमुख है। हालांकि चुनाव आयोग के साथ हुई इस वर्चुअल बैठक में ऐसी कोई मांग नहीं दोहरायी गई। हालांकि नेताओं ने मांग की कि चुनाव आयोग ऐसे कदम उठाए, जिससे लोग संतुष्ट रहें और चुनाव के दौरान कोरोना के मामले ना बढ़ें।
विपक्षी नेताओं ने मांग की कि चुनाव आयोग पब्लिक हेल्थ सेक्टर के विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करे क्योंकि राज्य में कोरोना से हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं।
विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग के सामने चुनाव को लेकर कुछ शर्तें भी रखी हैं। इनमें पारंपरिक चुनाव प्रचार के लिए नियम बनाना शामिल है ताकि चुनाव में ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके और सभी उम्मीदवारों को एक समान अवसर मिलें। विपक्षी पार्टियों ने सांप्रदायिक और सामाजिक ध्रुवीकरण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की है।
चुनाव आयोग के साथ हुई इस वर्चुअल बैठक में शक्तिसिंह गोहिल, मनोज झा, उपेन्द्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी और वामपंथी नेताओं समेत कई अन्य नेता भी मौजूद रहे।