बिहार में पैथोलॉजी सेवाओं को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। बिहार स्टेट हेल्थ सर्विसेज़ (BSHS) द्वारा जारी टेंडर प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि राज्य की जनता को गुणवत्तापूर्ण पैथोलॉजी जांच सेवाएं मिलेंगी या नहीं। BSHS ने हिंदुस्तान वेलनेस नामक कंपनी को टेंडर में विजेता घोषित किया, लेकिन इस निर्णय को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पहले स्थान पर रही कंपनी साइंस हाउस ने इस प्रक्रिया को भ्रष्टाचार से प्रेरित बताते हुए इसे पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इसके साथ ही, टेंडर प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए एक अन्य याचिका भी दायर की गई है, जिसमें टेंडर को रद्द करने की मांग की गई है।
सेवाओं को पूरी तरह निजी कंपनियों के हवाले करने के फैसले पर सवाल
पिछले पांच सालों से पब्लिक-प्राइवेट जॉइंट वेंचर के जरिए बिहार के सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजी सेवाएं प्रदान की जा रही थीं। अब BSHS ने इन सेवाओं को पूरी तरह निजी कंपनियों के हवाले करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत नया टेंडर जारी किया गया, लेकिन विवादों के कारण अभी तक यह तय नहीं हो सका है कि 13 करोड़ की आबादी को जांच सेवाएं कौन देगा। मौजूदा वेंचर की कंपनी भी असमंजस में है कि सरकार उसका अनुबंध आगे बढ़ाएगी या नहीं।
टेंडर प्रक्रिया में विवाद, गलत ढंग से अयोग्य घोषित करने का आरोप
23 अक्टूबर 2024 को जब वित्तीय बोलियां खोली गईं, तो साइंस हाउस ने दावा किया कि उसने टेंडर में 77% से अधिक छूट देने का प्रस्ताव दिया था। इसके बावजूद, BSHS ने उसकी दरों को सही ढंग से पढ़ने और स्पष्टीकरण का मौका दिए बिना अयोग्य घोषित कर दिया। इसके बाद, दूसरे स्थान पर रही हिंदुस्तान वेलनेस को विजेता घोषित कर दिया गया।
साइंस हाउस ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी और तुरंत सुनवाई के लिए हाई कोर्ट का रुख किया। कंपनी ने टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता और पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी कर एक विशेष कंपनी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की।
याचिका में आरोप है कि इस टेंडर के जरिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को खतरे में डाला जा रहा है। साइंस हाउस का कहना है कि वित्तीय नियमों और पात्रता मानदंडों का पालन किए बिना हिंदुस्तान वेलनेस को अनुबंध सौंपा गया, जो गलत है। यदि यह स्थिति बनी रही तो राज्य में पैथोलॉजी सेवाओं की गुणवत्ता और उनकी सुलभता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
BSHS और संबंधित कंपनियों के बीच यह विवाद न केवल कानूनी स्तर पर लंबित है, बल्कि इससे राज्य की पैथोलॉजी सेवाओं का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है। जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा यह मामला जल्द समाधान की मांग करता है ताकि सेवाओं में कोई रुकावट न आए।