उत्तर प्रदेश में दलितों की सबसे बड़ी नेता बसपा सुप्रीमो मायावती को माना जाता है। लेकिन साल 2017 में यूपी के सहारनपुर में दलितों और ऊंची जाति के लोगों के बीच हुई हिंसा में एक दलित नेता का नाम बड़ी तेजी से उभरा है। वह नेता है भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद। बता दें कि सहारनपुर हिंसा में 2 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। दलितों के 50 घर भी जला दिए गए थे और 3 हफ्ते बाद जाकर यह हिंसा पूरी तरह से रुक सकी थी। इस हिंसा के दौरान दलित समुदाय का नेतृत्व चंद्रशेखर आजाद ने ही किया। बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार कर राष्ट्रदोह के मुकदमे के तहत उन्हें जेल में डाल दिया था। हालांकि बाद में योगी सरकार ने चंद्रशेखर पर लगा राष्ट्रदोह का मुकदमा हटा दिया और 16 माह बाद चंद्रशेखर की जेल से रिहाई हुई। अब चंद्रशेखर आजाद और उनकी भीम आर्मी पब्लिक रैलियां कर भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती, चंद्रशेखर की बढ़ती लोकप्रियता से थोड़ी संशकित नजर आती हैं! एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार, मायावती लगातार चंद्रशेखर आजाद को भाजपा का एजेंट बता रही हैं और उनका आरोप है कि भीम आर्मी की फंडिंग आरएसएस द्वारा की जाती है। मायावती का कहना है कि ‘यदि वह (चंद्रशेखर आजाद) दलित एकता और उनके अधिकारों के लिए इतने ही गंभीर हैं तो उन्हें भीम आर्मी बनाने के बजाय बसपा में शामिल हो जाना चाहिए था।’ वहीं दूसरी तरफ भीम आर्मी चीफ का कहना है कि ‘मोदी-योगी के कार्यकाल में उन्हें 16 महीने के लिए जेल में डाला गया, मेरे खिलाफ 43 झूठे केस लगाए गए। ऐसे में मैं कैसे उस पार्टी के लिए काम कर सकता हूं, जिसने मुझे तबाह करने की कोशिश की।’
चंद्रशेखर ने बताया कि ‘मैं उनकी (मायावती) बहुत इज्जत करता हूं और ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा, जिससे उनका या बहुजन समाज का नाम खराब हो, लेकिन उन्हें मुझमें विश्वास दिखाना होगा।’ एनडीटीवी के साथ बातचीत में चंद्रशेखर ने बताया कि उन्होंने मायावती को समर्थन के लिए 5 बार फोन किया है, लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई भी जवाब नहीं आया है। बता दें कि हाल ही में प्रियंका गांधी ने भी चंद्रशेखर से मुलाकात की थी, जिसके बाद भी मायावती की नाराजगी सामने आयी थी। माना जा रहा है कि कांग्रेस, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए चंद्रशेखर को अपने पाले में करना चाहती है। वहीं मायावती, दलित समुदाय में चंद्रशेखर आजाद की बढ़तीलोकप्रियता से इस कदर सशंकित हैं कि आगामी चुनावों के लिए सपा-बसपा गठबंधन की पहली रैली 7 अप्रैल को सहारनपुर में करने का फैसला किया गया है।

