Confidence Motion in Delhi Assembly: सोमवार को दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विश्वास मत के लिए प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव की शुरुआत ही अराजकता शुरू हो गई। बीजेपी विधायकों ने विश्वास मत प्रस्ताव शुरू होने से पहले ही हंगामा शुरू कर दिया। इस हंगामें को देखते हुए डिप्टी स्पीकर राखी बिड़ला ने बीजेपी विधायकों को बाहर जाने को कहा। बीजेपी विधायकों ने विरोध दर्ज करवाते हुए कई मुद्दों पर चर्चा पर बात की और वेल तक जा पहुंचे। जिसके बाद बीजेपी विधायकों पर मार्शल कार्यवाही की गई और उन्हें सदन के बाहर भेज दिया गया।
विधानसभा में बीजेपी विधायकों ने दिल्ली की आबकारी नीति जांच सहित कई अन्य मुद्दों को लेकर था। बीजेपी और आम आदमी पार्टी की प्रतिद्वंदिता पिछले काफी समय से चली आ रही है। बीजेपी ने सत्र शुरू होने से ठीक पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार पर शिक्षा घोटाले का आरोप लगाया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर पिछले ढाई सालों से शिक्षा विभाग में हो रहे इस घोटाले को अनदेखा करने का आरोप लगाया।
BJP प्रवक्ता ने लगाए आरोप
वहीं इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी प्रवक्ता ने एक और आरोप दिल्ली सरकार पर लगाया जिसमें दिल्ली सरकार ने बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए 29 वर्षा जल संचयन सिस्टम बनाने के लिए केंद्र सरकार से अनुदान लिया। वहीं बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने केंद्रीय सतर्कता आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि निरीक्षण के दौरान केवल दो सिस्टम पाए गए।
अमित मालवीय ने किया Tweet
भारतीय जनता पार्टी नेता अमित मालवीय ने एक ट्वीट में विश्वास प्रस्ताव की जरूरत पर सवाल भी उठाया था। उन्होंने ट्वीट किया,”दिल्ली विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव किसने मांगा है? कोई नहीं। यह शराब आबकारी और शिक्षा घोटालों से ध्यान भटकाने के लिए सिर्फ एक हताश चाल है, जो किसी तरह सच्चाई को उलझाती है। केजरीवाल की सरकार को कोई खतरा नहीं है। सवाल है – क्या मीडिया झुकेगा या विज्ञापन के पैसे के दबाव में विल्ट? (sic)।” हालांकि, बीजेपी सदस्यों के सदन से चले जाने और केजरीवाल के भाषण देने के बाद भी विधानसभा को कुछ समय के लिए बाधित किया गया था क्योंकि आप नेताओं में से एक ने केंद्र के साथ विवाद के बीच उपराज्यपाल के खिलाफ आरोप लगाए थे।
अमित मालवीय के ट्वीट पर आए ऐसे कमेंट्स
अमित मालवीय के ट्वीट पर @ChetanM84117428 नामके यूजर ने रिप्लाई करते हुए लिखा है, ‘शराब बंदी के स्टेट ही शराब का बराबर कारोबार चल रहा है। हजारों करोड़ की काली कमाई नेता कर रहे हैं। हजारों करोड़ का टैक्स रेवेन्यू और बचत का पैसा देशहित में न जाकर नेताओं की जेब में जा रहा है। चुपचाप धड़ल्ले से कमाई चल रही थी लेकिन अब गुजराती और देश दोनों की आंखें खुल गई हैं। इसलिए कहते हैं न जब तक सरकार नहीं बदलेगी तब तक पोल-पट्टी नहीं खुलेगी।’ वहीं एक @SKAsince1993 नामके यूजर ने लिखा, ‘कॉर्पोरेट ऋण के नाम पर मोदी सरकार ने अब तक भारत में सबसे ज्यादा फ्रीबीस दी है। डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार 2004 – 2014 के बीच 63503 करोड़ का और मोदी सरकार 2014 – अब तक 8 सालों में 12,61,005 करोड़। जिसके परिणाम स्वरूप आम लोगों पर उच्च फ्यूल टैक्स और जीएसटी।’