अयोध्या में राम मंदिर को अगले 1,000 वर्षों तक समय, मौसम और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने लायक संरचना में आकार देने के लिए 4,000 से अधिक श्रमिकों और कारीगरों ने पांच वर्षों तक चौबीसों घंटे काम किया। इसमें केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, आइआइटी मद्रास, दिल्ली, मुंबई और गुवाहाटी तथा भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के इंजीनियरों का महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा।
25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर में ध्वजारोहण समारोह में भाग लिया, जो इसके निर्माण के पूरा होने का प्रतीक था। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मुख्य मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है। भूनिर्माण का काम चल रहा है और चारदीवारी और सभागार का निर्माण 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रारंभिक दान में प्राप्त 3,000 करोड़ रुपये में से निर्माण पर अनुमानत: 1,800 करोड़ रुपये खर्च किए गए। सूत्रों ने बताया कि बंदरों और पक्षियों को दूर रखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 31 जालियां बनाने के लिए हैदराबाद स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी मिश्र धातु निगम लिमिटेड से 12.5 टन टाइटेनियम खरीदा गया था।
पांचवीं शताब्दी की नागर वास्तुकला और डिजाइन शैली में निर्मित
वहीं भूतल पर लगभग 160 स्तंभ हैं जिन पर देवी-देवताओं की नक्काशी है। यहां गर्भगृह है, जहां जनवरी 2024 में प्रथम प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद कृष्ण शिला या मैसूर काले ग्रेनाइट से निर्मित रामलला (भगवान राम के बाल रूप) की मूर्ति स्थापित की गई है। मंदिर के 47 दरवाजों में से 14 दरवाजे भूतल पर हैं और सोने से मढ़े हुए हैं। पहली मंजिल पर राम दरबार है। इसमें भगवान राम के ‘राजा रूप’, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां हैं, जो सभी राजस्थान के सफेद मकराना संगमरमर से गढ़ी गई हैं। इस मंजिल पर 132 स्तंभ हैं, जिन पर नक्काशी की गई है।
पांचवीं शताब्दी की नागर वास्तुकला और डिजाइन शैली में निर्मित, मुख्य परिसर में गर्भगृह के अलावा पांच मंडप (हाल) हैं। ये मंडप नृत्य, रंग, गुढ़, कीर्तन और प्रार्थना मंडप हैं जो मंदिर के भीतर विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए हैं। मुख्य मंदिर परिसर के बाहर लगभग 750 मीटर लंबा और 14 फुट मोटा दो मंजिला परकोटा (बाहरी दीवार) है। भूतल पर विभिन्न देवताओं सूर्य, शिव, भगवती, गणेश, हनुमान और माता अन्नपूर्णा को समर्पित छह मंदिर हैं। साथ ही ट्रस्ट के कार्यालय भी हैं। ऊपरी तल परिक्रमा मार्ग के रूप में कार्य करता है, जहां बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं।
