Don-turned politician Atiq Ahmed: जरायम की दुनिया में दखल रखने वाला माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmed) राजनीतिक दलों की दुखती नसों से बखूबी वाकिफ था। यही वजह रही कि दो दशकों तक उसकी अंगुलियों पर सरकारें नाचती रहीं और आला पुलिस अधिकारी उसके सियासी रसूख के सामने नतमस्तक रहे। बेहद शातिर दिमाग अतीक के इशारे पर हुई उमेश पाल (Umesh Pal) की सनसनीखेज हत्या के मामले में अब तक पुलिस एक चालक को मुठभेड़ में ढेर कर अपनी पीठ थपथपाने मे जुटी है, जबकि असली शूटर उसकी पहुंच से कोसों दूर हैं।

महज 17 बरस की उम्र में हत्या जैसी वारदात को दिया था अंजाम

बात चार दशक पहले की है। महज 17 बरस की उम्र में हत्या सरीखी वारदात को अंजाम दे कर इलाहाबाद में सनसनी पैदा करने वाले अतीक अहमद ने इसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा। एक के बाद एक हत्या, अपहरण, जमीन पर कब्जा, हत्या के प्रयास सरीखी सौ से अधिक वारदात को अंजाम देने वाले अतीक ने उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय दलों की सरकारों को अपनी अंगुलियों पर नचाया। उसके रसूख का आलम यह था कि समाजवादी पार्टी की सरकार में उसके तब के मुखिया मुलायम से बेहद करीबी रिश्ते बन गए।

शातिर दिमाग ने सपा की सरकार में जैसा और जो चाहा, वह किया

कभी चुनाव चिह्न सीढ़ी के जरिए इलाहाबाद शहर दक्षिणी से निर्दलीय विधायक के तौर पर जीत दर्ज करने वाले इस शातिर दिमाग माफिया ने समाजवादी पार्टी की सरकार में जैसा और जो चाहा, वह किया। उसके सियासी रसूख का आलम यह था कि इलाहाबाद का जिला प्रशासन एक समय में अतीक के इशारे पर नाचता था।

मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव कई बार अतीक के मेहमान बने

खुद मुलायम सिंह बतौर मुख्यमंत्री कई मर्तबा अतीक अहमद के घर गए। इस माफिया का सियासी रसूख साबरमती जेल में बंद होने के बावजूद आज भी कायम है। इसकी सियासी ताकत कितनी है, इसकी बानगी देखिए। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन को बहुजन समाज पार्टीकी सुप्रीमो मायावती ने प्रयागराज से महापौर पद का उम्मीदवार बनाया।

बसपा ने 2005 में अतीक की पत्नी शाइस्ता को महापौर का टिकट दिया था

यहां गौर करने वाली बात यह है कि 25 जनवरी 2005 को अतीक की पत्नी को बसपा ने महापौर पद का टिकट दिया था, मगर उसने तब के बसपा विधायक राजू पाल की बेहद फिल्मी अंदाज में पांच किलोमीटर से अधिक पीछा कर के हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड में उस वक्त अत्याधुनिक असलहों का इस्तेमाल किया गया था। बावजूद इसके बसपा सुप्रीमो अतीक की पत्नी को पार्टी से निकालने का साहस नहीं दिखा पाईं, बल्कि उन्होंने यह कहा कि जब तक शाइस्ता का अपराध उमेश पाल हत्याकांड में सिद्ध नहीं हो जाता, उन्हें बसपा से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया जाएगा।

अतीक अहमद के इशारे पर उमेश पाल की दिनदहाड़े लबे सड़क हत्या को अंजाम देने वाले उसके शूटर वारदात के चार दिनों के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। जबकि खानापूरी करने के लिए यूपी की तेजतर्रार पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड में क्रेटा कार चलाने वाले चालक को मुठभेड़ में सोमवार को नेहरू पार्क इलाके में हलाक कर दिया। उस पर पचास हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया।

कभी जवाहर लाल नेहरू के संसदीय क्षेत्र फूलपुर से सांसद हुए माफिया अतीक अहमद और उसके पूर्व विधायक छोटे भाई अशरफ जो कि इस वक्त बरेली जेल में बंद है, उनकी योगी आदित्यनाथ की सरकार ने छह साल के अपने कार्यकाल में 12 सौ करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की।
बावूजद इसके अतीक की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा और उसके गुर्गों ने उमेश पाल और उसके गनर को बेहद फिल्मी अंदाज में दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया।

हालांकि योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा ने तीन दिन पूर्व यह जरूर कहा कि वे इस माफिया का साम्राज्य मिट्टी में मिला देंगे, लेकिन जिस तरह अब तक उमेश पाल के हत्यारे पुलिस पकड़ से बाहर हैं, उसपर सवाल उठते हैं कि क्या इस मामले में पुलिस का खुफिया तंत्र फेल हो चुका है? या अतीक के रसूख की वजह से पुलिस अब तक उमेश के हत्यारों तक पहुंचने में अपनी पूरी इच्छाशक्ति लगाने से कतरा रही है?