लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल (2016) पर वोटिंग के दौरान सदन से गायब रहने वाले भाजपा के सहयोगी दल जेडीयू ने रविवार (20 जनवरी, 2019) को कहा कि वो राज्यसभा में बिल का विरोध करेंगे। पार्टी ने कहा कि वह बिल के विरोध में समर्थन जुटाने के लिए एक टीम गुवाहाटी भी भेजेगी। जानकारी के मुताबिक पटना में जेडीयू मीटिंग के दौरान पार्टी पदाधिकारियों ने यह फैसला लिया। मीटिंग में पार्टी प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे। एनडीए सहयोगी इससे पहले तीन तलाक बिल पर भी गठबंधन लाइन से बाहर जाकर बात कर चुकी है। जेडीयू ने फरवरी के आखिरी सप्ताह में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित करने का भी फैसला लिया है।

जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमने नागरिकता संशोधन बिल, 2016 का विरोध करने का फैसला लिया है। क्योंकि यह बिल असमियों की अस्मिता के खिलाफ है। इसलिए पार्टी ने 27 फरवरी को मुझे और जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को गुवाहाटी भेजने का फैसला लिया है।’ पूछे जाने पर कि क्या आने वाले चुनाव को ध्यान रखते हुए पार्टी ने यह फैसला लिया? त्यागी ने कहा, ‘हालांकि हमने अभी तक किसी भी उम्मीदवार को चुनाव में उतारने का फैसला नहीं लिया है। ना ही देश के उत्तर-पूर्व में किसी उम्मीदवार को चुनाव में उतारने की योजना है। हम स्वतंत्र पार्टी हैं और अपना स्टैंड ले सकते हैं।’

जानना चाहिए कि नागरिकता संशोधन बिल आठ जनवरी को लोकसभा में पारित हो चुका और राज्यसभा में इसे पास कराना बाकी है। इसमें नागरिकता एक्ट, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। संशोधन बिल आप्रवासी को भारतीय नागरिकता देने के नियमों में ढील दी गई है। हालांकि संशोधन बिल को कई लोगों ने असम की स्वदेशी आबादी के लिए खतरा माना हैं। असम में भाजपा के ही कई विधायकों ने बिल का विरोध किया है।

दिसपुर से भाजपा विधायक अतुल बोरा तो साफ कह चुके हैं, ‘बिल 1985 असम समझौते का उल्लंघन करता है और यह असंवैधानिक है। मैं यहां की आबादी और यहां की जमीन के बारे में जानता हूं। अगर बिल पास हुआ तो 1971 से पहले यहां बसे सभी मूल भारतीयों को नुकसान पहुंचाया जाएगा।’