बिहार में जनता कोरोना महामारी प्रकोप और बाढ़ की दोहरी मार झेल रही है। सरकार की तरफ से मदद के बीच आम लोग भी सूबे की जनता की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। इस बीच आसिफ़ कमाल फ़ाउंडेशन और अल्तुराश आर्ट ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए लोगों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।आसिफ़ कमाल ने मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में 20 लाख रुपए दान करने का भी भरोसा दिलाया है। वह अपनी पेंटिंग्स बेचकर बिहार में बाढ़ पीड़ित लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं।

दुबई स्थित आर्ट एंड बिड ऑक्शन हाउस के सहयोग से आसिफ़ कमाल फ़ाउंडेशन और अल्तुराश आर्ट ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लिए एक कला एग्ज़िबिशन का आयोजन किया है जो 15 अगस्त से लगातार 60 दिनों के लिए देश और विदेशों में कला प्रेमियों के लिए लगभग 2 करोड़ रुपए की कुल राशि के मूल्य की कलाकृतियां बेच चुकी है अल्तुराश आर्ट और आसिफ़ कमाल फ़ाउंडेशन की तरफ़ से बिक्री का 10% मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में दान करने का संकल्प लिया गया है। यह राशि कला और कलाकृतियाँ बेचकर एकत्र की जाएग।

आसिफ़ कमाल फ़ाउंडेशन देश के विभिन्न छोटे संस्था और कला प्रमोटर्स की मदद से इन कार्यों को बेचेंगे, ये प्रदर्शन 60 दिनों के लिए ऑनलाइन आर्ट एंड बिड ऑक्शन हाउस और अल्तुराश आर्ट गैलरी और आसिफ़ कमाल फ़ाउंडेशन के वेबसाइट पर तथा दिल्ली के डीएलएफ माल में वास्तविक रूप से कला प्रेमियों के लिए मौजूद हैं। इस चेरिटबल एग्ज़िबिशन की शुरुआत 15th अगस्त के मौके पर की गई है। बता दें कि आसिफ़ समाजसेवी में दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने 2019 में आसिफ़ कमाल फ़ाउंडेशन की स्थापना की और उसका एक मात्र उद्दयेश्य ग्रामीण भारत में शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में काम करना है, आसिफ़ का मानना है की ग्रामीण भारत का सशक्तिकरण किए बिना हम सम्पूर्ण भारत को सशक्त नहीं बना सकते, आसिफ़ बिहार के सुपौल ज़िला के रहने वाले हैं। आसिफ़ ने बच्चों के लगातार गिरते शिक्षा दर और ग्रामीण भारत में स्वास्थ सेवाओं की दैनिय हालात को देखते हुए इस संस्था की नींव रखी।

आसिफ़ कमाल पेशे से एक कला पारखी और कला विशेषज्ञ हैं , देश के कला और संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय मंच तक ले जाना और उनको प्रमोट करना इनका मुख्य काम है, आसिफ़ देश और विदेशों के अनेकों कला संग्रहालय और आर्ट गैलरीज़ के साथ काम करते हैं। आसिफ़ दिल्ली में रहते हैं और उनका कारोबार और उनका समूह अल्तुराश ग्रूप दुबई में स्थित है। आसिफ़ कमाल की संस्था ने कोविड-19 और लॉकडाउन के माहौल में प्रवासी मज़दूर को उनके घर भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की थी और साथ ही उनके लिए राशन की और आर्थिक व्यवस्था की थी।