राजस्थान में अशोक गहलोत बतौर मुख्यमंत्री और सचिन पायलट बतौर उपमुख्यमंत्री राज संभालेंगे। दोनों का शपथ ग्रहण समारोह 17 दिसंबर को अल्बर्ट हॉल में सुबह 10 बजे आयोजित होगा। पहली बार किसी सरकार का शपथ ग्रहण समारोह अल्बर्ट हॉल में आयोजित किया जा रहा है। हालांकि, पहले यह कार्यक्रम जनपथ पर होना था, जिसके लिए हाईकोर्ट ने सशर्त अनुमति दी थी। तमाम औपचारिकताएं पूरी करने से बचने के लिए समारोह स्थल में अचानक परिवर्तन कर दिया गया। आयोजन को भव्य रूप देने के लिए यूपीए के घटक दलों के प्रमुख नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। हालांकि, इसके पीछे 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी भी छिपी हुई है।
कर्नाटक के बाद राजस्थान में एकजुट होंगे विपक्षी दल
कर्नाटक में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद कांग्रेस के किसी मंच पर दूसरी बार मोदी विरोधी खेमे के नेता एकजुट होंगे। इसके जरिये यूपीए की एकजुटता का संदेश भी दिया जाएगा। कार्यक्रम में यूपीए घटक दलों के प्रमुख नेताओं के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल होंगे।
दिनभर समर्थकों से घिरे रहे गहलोत
सीएम बनाए जाने के ऐलान के बाद शनिवार को पहले दिन अशोक गहलोत पूरे दिन समर्थकों, नव निर्वाचित विधायकों से मिलते रहे। पूरे दिन शुभकामनाएं देने वाले लोगों का सिविल लाइंस स्थित आवास पर तांता लगा रहा।
दिल्ली से मंजूरी के बाद मंत्री लेंगे शपथ
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार में कितने मंत्री होंगे? कौन-कौन मंत्री बनेंगे? यह पूरा होमवर्क राहुल गांधी के स्तर पर किया जाएगा। राहुल गांधी के पास से सूची को ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ही मंत्री शपथ ले पाएंगे। पहले केवल सीएम-डिप्टी सीएम की ही शपथ होगी।
इन नेताओं के आने की उम्मीद
पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन, नेकां के फारुख अब्दुल्ला, टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू, आरजेडी के तेजस्वी यादव, डीएमके के एमके स्टालिन, कनीमोझी, झामुमो के हेमंत सोरेन, बसपा की मायावती, सपा के अखिलेश यादव के अलावा शरद यादव, बदरुद्दीन अजमल, बाबूलाल मरांडी, राजू शेट्टी के आने की संभावना है।
रामगढ़ में सिर्फ बसपा ही दाखिल कर सकेगी पर्चा
अलवर की रामगढ़ सीट पर चुनाव के लिए जल्द ही अधिसूचना जारी होगी। यहां सिर्फ बसपा प्रत्याशी ही पर्चा दाखिल कर सकेंगे। पहले से पर्चा दाखिल कर चुके 19 प्रत्याशियों में कोई बदलाव नहीं होगा। इस सीट पर बसपा प्रत्याशी के निधन के बाद चुनाव स्थगित कर दिए गए थे।