माफिया अतीक अहमद के बेटे असद को यूपी एसटीएफ ने मार गिराया है। गुरुवार (13 अप्रैल) को उत्तर प्रदेश के झांसी के पास हुए इस एनकाउंटर में शूटर गुलाम भी मारा गया है। उमेश पाल हत्याकांड में असद और शूटर गुलाम दोनों पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम था। प्रयागराज में उमेश पाल की सरेआम हत्या ने पूरे इलाके को दहला दिया था। इस हत्याकांड के बाद अतीक के दो बेटों को पुलिस ने उठा भी लिया था। आखिर कौन है उमेश पाल? उनकी हत्या में क्यों आया अतीक अहमद का नाम और इसका विधायक राजू पाल मर्डर केस से क्या है नाता? आइए जानते हैं पूरी कहानी।
घर के बाहर देसी बम से निशाना बनाए गए थे उमेश पाल
24 फरवरी 2023 को उमेशपाल की हत्या कर दी गयी थी। उनकी सुरक्षा में लगे गंभीर रूप से घायल सरकारी गनर सिपाहियों की भी इलाज के दौरान मौत हो गयी थी। उमेश पाल को उनके घर के बाहर देसी बम से निशाना बनाया गया। बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह वकील उमेश पाल की हत्या के संदिग्धों में गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद, उसकी पत्नी, उसके दो बेटे, भाई अशरफ और अन्य के नाम शामिल हैं। उमेश पाल ने दावा किया कि बल प्रयोग की धमकी देकर उनका अपहरण कर लिया गया क्योंकि वह पीछे नहीं हटे और अहमद के दबाव में नहीं आए।
उमेश पाल का हुआ था अपहरण
राजूपाल हत्याकांड में गलत गवाही दिलवाने के लिए उमेश पाल की 28 फरवरी 2006 को नेहरू पार्क के पास फांसी इमली जीटीरोड से किडनैपिंग गयी। यूपी में सपा की सरकार और अतीक अहमद के सत्ताधारी पार्टी के सांसद होने की वजह से उस वक्त उमेश पाल की FIR दर्ज नहीं हुई थी। जब 2007 में यूपी में बसपा की सरकार बनी तब उमेश पाल ने 5 जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में किडनैपिंग की एफआईआर दर्ज कराई थी।
राजू पाल हत्याकांड में थे गवाह
इस मामले में बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद, भाई अशरफ, दिनेश पासी, अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा, खान सौलत हनीफ, जावेद, फरहान, इसरार, आबिद प्रधान, आशिक उर्फ मल्ली और एजाज अख्तर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड मामले में धूमनगंज थाने में मुख्य चश्मदीद गवाहों रुखसाना,सादिक,सैफउल्ला,ओम प्रकाश, बुद्धि पटेल के साथ ही पुलिस ने उमेशपाल को भी गवाह बनाया था। जिसकी चार्जशीट पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की थी।
समाजवादी पार्टी के निवर्तमान जिला उपाध्यक्ष राम सुमेर पाल के जरिए उमेश पाल ने सपा में एंट्री ली थी। जानकारी के मुताबिक उमेश को लखनऊ स्थित सपा दफ्तर में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के हाथों सदस्यता भी दिलाई गई थी। विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर उमेश ने सपा से टिकट मांगी थी, लेकिन मायूसी ही हाथ लगी थी। टिकट न मिलने से नाराज उमेश पाल ने सपा को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। दरअसल उमेश पाल फाफामऊ से विधानसभा चुनाव लड़ना चाह रहा था। सूत्र बताते हैं कि विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले उमेश ने कौशाम्बी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा में भाजपा का दामन थाम लिया था।