दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने सोमवार (8 अगस्त 2022) को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुफ्त बिजली-पानी और इलाज के मुद्दे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा। सीएम ने दावा किया कि दुनिया के 39 देशों में फ्री शिक्षा और 9 देशों में मुफ्त इलाज मिलता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को मिल रही फ़्री शिक्षा को ‘रेवड़ी’ बताकर बंद करने का माहौल बनाना बहुत दुखद है।
39 देश फ़्री शिक्षा देते हैं: सीएम केजरीवाल ने कहा, “आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि आम लोगों को मिल रही फ्री शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली-पानी बंद होनी चाहिए, इससे सरकारों को घाटा होता है। बच्चों को मिल रही फ़्री शिक्षा को रेवड़ी बता बंद करने का माहौल बनाना बहुत दुखद है।” उन्होंने कहा, “डेनमार्क, नॉर्वे जैसे 39 देश अपने बच्चों को फ़्री शिक्षा देते हैं, ये देश इसी से अमीर बने। कनाडा, यूके जैसे 9 देश फ्री हेल्थकेयर देते हैं। यूएस, जर्मनी जैसे 16 देश बेरोज़गारी भत्ता देते हैं। ये देश अपने दोस्तों के लाखों-करोड़ के क़र्ज़ माफ़ नहीं करते।”
‘फ़्री की रेवड़ी’ कहने वाले गद्दार: आप संयोजक ने आगे कहा, “मैं सरकारों से मांग करता हूं कि देश के हर बच्चे के लिए शानदार फ्री शिक्षा का इंतजाम हो। हर व्यक्ति के लिए फ़्री इलाज का इंतजाम हो। हर परिवार को 300 यूनिट फ़्री बिजली मिले। हर बेरोज़गार को बेरोज़गारी भत्ता मिले। इसे ‘फ़्री की रेवड़ी’ कहने वाले गद्दार हैं।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर ये सोचना था कि शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, बिजली, पानी देने में जो भारी कमी हुई है, उसे अगले 5 साल में कैसे पूरा किया जाए। उल्टा ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जिनके पास पैसे नहीं सरकारों की बला से अशिक्षित रहें, प्यासे रहें, मर जाएं।
दोस्तों का 10 लाख करोड़ का कर्ज माफ: उन्होंने कहा, “आपको पता है इन लोगों ने चंद दोस्तों का 10 लाख करोड़ का कर्ज माफ़ कर दिया। इनके हिसाब से सरकारी पैसे से बच्चों को फ्री शिक्षा नहीं मिलनी चाहिए, ग़रीबों का फ़्री इलाज नहीं होना चाहिए। सरकारी पैसा इनके दोस्तों के क़र्ज़ माफ़ करने के लिए इस्तेमाल होने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “दोस्तों के बैंकों के कर्ज माफ करने वालों को गिरफ्तार करके सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। कौन हैं ये दोस्त, पहले वो इनके दोस्त थे अब ये इनके दोस्त हैं। लोग वहीं हैं, पहले वे कर्ज माफ करते थे अब ये करते हैं। इसकी जांच होनी चाहिए कि जिन लोगों के कर्ज माफ किए उन्होंने कितना इन्हें चंदा दिया।”
