दिल्ली में हार के बाद आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पंजाब में विपश्यना कर रहे हैं। हालांकि सवाल उठ रहा है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली में हार के बाद राज्य में पार्टी के गढ़ को फिर से हासिल करने के लिए पंजाब में अपने विपश्यना ध्यान शिविर का इस्तेमाल रणनीति सत्र के रूप में कर रहे हैं? या ये महज विपक्षी नेताओं द्वारा फैलाई गई अफवाहें हैं।

AAP के वरिष्ठ सूत्रों का अनुमान है कि वरिष्ठ नेताओं और रणनीतिकारों के साथ व्यापक बैठकों के बाद पार्टी में फेरबदल हो सकता है। उनका मानना है कि 2027 के पंजाब विधानसभा चुनावों पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करते हुए जल्द ही संगठनात्मक फेरबदल की घोषणा की जा सकती है। दरअसल 2022 में जब पार्टी ने पंजाब में जीत हासिल की थी, तब आम आदमी पार्टी का वर्चस्व था। लेकिन दिल्ली में हार के बाद पार्टी को करारा झटका लगा है।

‘वादे पूरे करने में विफल रही पंजाब सरकार’

राजनीतिक विश्लेषक पुरुषोत्तम सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि संभावित दलबदल को रोकने के लिए पहले दरकिनार किए गए या पदमुक्त किए गए AAP विधायकों को फिर से महत्वपूर्ण भूमिकाओं में लाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का वादा करके सत्ता में आई आप सरकार 300 यूनिट बिजली जैसी मुफ्त सुविधाएं देने के अलावा अपने वादों को पूरा करने में काफी हद तक विफल रही है। नेतृत्व अब असंतुष्ट सदस्यों के साथ फिर से जुड़कर नुकसान को कम करने का प्रयास कर सकता है।”

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दिल्ली में चुनावी हार के ठीक बाद विपश्यना ध्यान करने के अरविंद केजरीवाल के फैसले पर एक AAP विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर असमंजस व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आप की एकमात्र राज्य में बची हुई सरकार पंजाब में है, जो केजरीवाल और पार्टी के रणनीतिकारों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने पुष्टि की कि पंजाब के कई आप नेताओं ने राज्य के लिए पार्टी के रोडमैप पर चर्चा करने के लिए केजरीवाल से मुलाकात की है।

AAP ने खारिज की अटकलें

हालांकि AAP प्रवक्ता शशिवीर शर्मा ने विपश्यना के दौरान केजरीवाल द्वारा बैठकें करने के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने विपश्यना ध्यान में भाग लिया है। विपक्ष उनकी यात्रा के बारे में अनावश्यक शोर मचा रहा है क्योंकि उनके पास केजरीवाल और पंजाब में आप सरकार की आलोचना करने के अलावा कोई सकारात्मक या विकास का एजेंडा नहीं है।”