दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को इस बात पर हैरत जताई कि केंद्र ने गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत के लिए उन्हें नहीं न्योता। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री को न्योता न देने के लिए केंद्र को आड़े हाथ लिया जबकि कांग्रेस ने कहा कि इससे भाजपा सरकार की ओछी मानसिकता का पता चलता है।

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि कोई नियम-कानून नहीं तोड़ा जाएगा। हालांकि, उन्होंने याद दिलाया कि केजरीवाल ने पिछले साल कथित तौर पर गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान प्रदर्शन करने की धमकी दी थी। बहरहाल, केजरीवाल ने जोर देकर कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि गणतंत्र दिवस नहीं मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि प्रोटोकॉल कहता है तो उन्हें जरूर बुलाना चाहिए था। केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा-मुझे न्योता नहीं मिला है। यदि प्रोटोकॉल कहता है कि न्योता भेजा जाना चाहिए तो उन्हें भेजना चाहिए था। यदि ऐसा नहीं है तो उन्हें नहीं भेजना चाहिए। इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।

आप नेता आशुतोष ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे हैं और उन्हें इस समारोह में न्योता दिया जाना चाहिए था। आशुतोष ने कहा कि वे पूर्व मुख्यमंत्री हैं। दिल्ली के सम्मानित व्यक्ति भी हैं। जब उन्हें न्योता नहीं दिया जाता है तो लोगों के मन में शंका होती है कि क्या उन्हें सियासी नफरत की वजह से समारोह में नहीं बुलाया गया।

इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर हर्षवर्धन ने कहा कि उन्हें इस बारे में नहीं पता लेकिन केंद्र सरकार कोई नियम नहीं तोड़ेगी। उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझता कि हमारी सरकार में कोई भी किसी नियम-कायदे को तोड़ेगा। भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि केजरीवाल अपने अराजक व्यवहार के कारण गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किए जाने लायक ही नहीं हैं। हर्षवर्धन ने कहा-मैं सिर्फ पूरे देश को इस बात से वाकिफ कराना चाहता हूं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए केजरीवाल पिछले साल राजपथ पर प्रदर्शन कर रहे थे और लोगों से कह रहे थे कि गणतंत्र दिवस समारोह न होने दें। उन्होंने खुद को अराजक कहा था। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा-चाहे हम अलग-अलग पार्टियों या अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा से संबंध रखते हों, लेकिन 26 जनवरी जैसा राष्ट्रीय दिवस सभी 125 करोड़ भारतीयों का होता है। लिहाजा, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री को न्योता न देना भाजपा सरकार की ओछी मानसिकता को दर्शाता है।