कोरोना संक्रमण के साथ-साथ दिल्लीवासियों को अब ओमीक्रान का खतरा भी डराने लगा है। इससे निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने अस्पतालों व अन्य सरकारी डिस्पेंसरियों में दवाओं का संकट दूर करने का बंदोबस्त कर लिया है। हाल ही में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने इन बीमारियों से बचाव के लिए प्रयोग होने वाली दवाओं को सीधे बाजार से खरीद की मंजूरी दे दी है ताकि जरूरत होने पर तेजी से जीवन रक्षक दवाओं को उपलब्ध कराया जा सके।

दिल्ली सरकार ने संक्रमण की आई पिछली लहरों से सबक लेते हुए यह फैसला लिया है। इन लहरों में दिल्ली को नुकसान हुआ था और आक्सीजन, दवा आदि का संकट भी देखने को मिला था। सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से यह मसविदा कैबिनेट को भेजा गया था। मसविदे में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के लिए विशेष फंड से इस खरीद का भुगतान किया जाएगा। मसविदे में यह भी बताया गया है कि इससे पूर्व जब सरकारी ई-मार्केट से दवाओं की खरीद की गई थी। उसका मूल्य भी बाजार भाव से अधिक था। नए फैसले से सरकार को होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकेगा।

सूत्रों के मुताबिक जिस समय देश के अंदर कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आई थी। उस समय दिल्ली की सेवाओं पर एकाएक बोझ बढ़ गया था। राज्य में संक्रमण की दर 30 फीसद से भी ऊपर चली गई थी। इस दौरान दिल्ली सकार ने आम जनता के लिए निशुल्क दवाएं उपलब्ध कराई थीं। वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में दवाओं की खरीद करने की आवश्यकता है।

अभी तक दिल्ली में इन दवाओं की खरीद को केंद्र सरकार की एंजसी के माध्यम से खरीदा जाता है। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए दिल्ली सरकार दवा खरीद के लिए सीधे निविदा प्रक्रिया को पूर्ण करेगी।

इस कार्य के लिए अभी सरकारी ई मार्किट (जीईएम) का प्रयोग किया जाता है, जो सन 1994 में तैयार किया गया है। कोई भी दवा खरीद के लिए सभी राज्य सरकारों को इस एंजसी के माध्यम से दवा खरीदनी होती है और इसके बाद इस दवा को अस्पताल, डिस्पेंसरी, मोहल्ला क्लीनिक को भेजा जाता है। दिल्ली के अंदर करीब 38 बड़े अस्पताल हैं। जहां करीब 2.3 करोड़ दिल्लीवालों को तो स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलता है वहीं आसपास के राज्यों से भी दिल्ली के अस्पतालों में करीब 30 फीसद तक मरीज पहुंचते हैं।