देश में जलसंपदा का संरक्षण करने के लिए तमाम तरह की कोशिशें सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर लगातार हो रही हैं। इस काम में देश की कई बड़ी एजेंसियां, एनजीओ और समाजसेवी संस्थाएं भी जुटी हैं। समाज में इसका प्रभाव भी दिखता है। हालांकि जिस स्तर पर काम होने के दावे किए जा रहे हैं, उस पर तमाम तरह के सवाल भी उठते रहे हैं।

गंगा नदी और देश की दूसरी नदियों को गंदगी मुक्त करने तथा स्वच्छ और निर्मल जल करने के लिए भारत सरकार करोड़ों रुपये विभिन्न योजनाओं के तहत समय-समय पर खर्च करती रही है, लेकिन गंगा से प्रदूषण अभी तक दूर नहीं हो सका। इसके विपरीत कई जगह छोटी नदियों, छोटे-छोटे तालाबों और सूख रहे नालों में जल वापस लाने के कई ऐसे प्रयास स्थानीय स्तर पर हुए हैं, जिससे न केवल खेतों को पानी मिलने से फसलों की उर्वरता बढ़ी है, बल्कि कारोबार में भी उन्नति हुई है। किसानी और पलायन दोनों समस्याओं का समाधान हुआ है। यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि जहां खेती-किसानी अच्छी होती है, वहां व्यापार भी अच्छा होगा और रोजगार बढ़ने से बेरोजगारी भी दूर होती है। इसके साथ ही स्थानीय संपन्नता भी बढ़ती है।

उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है, जहां पानी की समस्या वर्षों से रही है। इस परेशानी को जड़ से खत्म करने में कुछ लोगों ने जो सार्थक प्रयास किया है, वह समाज को नई दिशा दे रहा है और ऐसा करने वाले समाज के लिए रोल मॉडल साबित हो रहे हैं। बांदा बुंदेलखंड का वह क्षेत्र है जहां प्राकृतिक संपदा बहुत है, लेकिन पानी की कमी से उसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है। कुछ महीने पहले ऐसी ही दिक्कतों की जानकारी वहां के जिलाधिकारी अनुराग पटेल को हुई तो वे खुद पहल करते हुए इसको हल करने में जुट गए।

जनपद के नरैनी तहसील में गहरार नदी पुराना जलस्रोत है। कुछ समय पहले तक 17 किलोमीटर लंबी यह नदी सूखकर पठार जैसी हो गई थी। हाल ही में अपने हाथों में कुदाल और तसला लेकर नदी की सफाई और खुदाई कर उसमें फिर से जलधारा बहाने के लिए कुछ लोगों के साथ जिलाधिकारी बांदा अनुराग पटेल ने परिश्रम किया। सिर पर मिट्टी से भरा तसला लेकर वे खुद आगे-आगे चले। समुदाय ने साथ दिया 3 माह के परिश्रम का नतीजा यह निकला कि यह नदी फिर से आबाद हो गई।

इतना ही नहीं उनके सक्रिय प्रयास से बांदा की 15 किलोमीटर लंबी चंद्रावल नदी तथा 123 बीघा वाली मरौली झील सहित 75 तालाबों को पुनर्जीवन मिल सका। इसके अलावा जलकुंभी हटाओ तलाब बचाओ अभियान भी उन्होंने शुरू किया। सिर्फ शुरू ही नहीं किया, बल्कि कमर से ऊपर तक पानी में स्वयं जाकर श्रमिकों के साथ जलकुंभी और कीचड़ साफ किया। 50 तालाबों को जलकुंभी से मुक्त किया। इसके पहले वे मिर्जापुर के जिलाधिकारी रहते कर्णावती नदी की सफाई और उसको पुनर्जीवन में भी पूरी सक्रियता से अपना योगदान दे चुके हैं।

जल संचयन में रुचि की वजह से ऐसे अवसर मिलने पर सक्रियता से जुड़ने के लिए स्वयं करते हैं पहल

फर्रूखाबाद में अपनी तैनाती के समय भी उन्होंने 101 तालाबों का जीर्णोद्धार कराया था। खास बात यह है कि वे जहां भी जाते हैं, जल संरक्षण जैसे मुद्दों के लिए खुद प्रयास करने में जुट जाते हैं। उनका कहना है कि जल संरक्षण और संचयन में उनकी काफी रुचि है और वे अपने प्रशासनिक दायित्व के दौरान जहां भी अवसर मिलता है, वे इसके लिए काम करते हैं।

Pond Cleaning Work in Banda UP.

स्थानीय नरैनी विधायिका ओम मणि वर्मा के साथ खुदाई और मिट्टी ढुलाई करते डीएम बांदा अनुराग पटेल।

अभी हाल ही में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री भारत सरकार की ओर से Water Heroes Award से सम्मानित किया गया। यह सम्मान देश के छह उन लोगों को दिया गया है, जिन्होंने जल संरक्षण और जल संसाधनों के सतत विकास संबंधी देशव्यापी प्रयासों में अपना योगदान दिया है। भारत सरकार से जल योद्धा का सम्मान प्राप्त कर चुके जल ग्राम जखनी के उमा शंकर पांडेय ने कहा, “जिलाधिकारी अनुराग पटेल जी जो कर रहे हैं, वह जिले के लिए न केवल वरदान है, बल्कि जल संरक्षण की दिशा में काम करने वाले लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत भी है। जिलों में उच्च पदों पर बैठे प्रशासनिक अफसरों और उनके अधीन काम करने वाले अन्य स्टाफ एवं दूसरे कर्मचारियों को भी इससे जल संरक्षण की ओर सोचने और अपना योगदान देने के लिए उत्साह बढ़ेगा।”

इसके पूर्व उनके जल संरक्षण के योगदान के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुराग पटेल को लोक भवन लखनऊ में सम्मानित किया था। जिलाधिकारी अनुराग पटेल जल संरक्षण के प्रयास में राज, समाज, सरकार को साथ लेकर परंपरागत तरीके से जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की योजना बनाते हैं और स्थानीय समुदाय को साथ लेते हैं।

जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के डायरेक्टर ने सामुदायिक भागीदारी को बताया आवश्यक

जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के डायरेक्टर गिरिराज गोयल ने कहा, “जिलाधिकारी बांदा का जल संरक्षण का मॉडल पूरे देश के लिए उपयोगी है वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए सामुदायिक भागीदारी आवश्यक है, मैंने स्वयं उनके द्वारा जीवित की गई नदियों तालाबों जल स्रोतों को देखा है। कम समय में अच्छा प्रयास किया गया है।” डीएम अनुराग पटेल केंद्र और राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप पीएम नरेंद्र मोदी के जल आंदोलन को जन आंदोलन में बदलने के लिए समुदाय के साथ अनुकरणीय प्रयास कर रहे हैं।