आंध्र प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्य में कक्षा 10वीं और 12वीं की वार्षिक परीक्षाएं रद्द करने की घोषणा कर दी। उच्चतम न्यायालय की ओर से इस मामले का संज्ञान लिए जाने के बाद आंध्र सरकार ने परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया है।
आंध्र प्रदेश के शिक्षा मंत्री ए सुरेश ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ने परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया है क्योंकि अंकों के मूल्यांकन संबंधी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित 31 जुलाई की समय सीमा का पालन करना मुश्किल था। उन्होंने कहा कि 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को दिए जाने वाले अंकों के आकलन के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा। इससे पहले, कोविड-19 की भयावह स्थिति, विपक्षी दलों और अभिभावकों के विरोध के बावजूद राज्य सरकार परीक्षाएं आयोजित करने पर अड़ी हुई थी।
लेकिन शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप के बाद मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार को परीक्षाएं रद्द करने पर मजबूर होना पड़ा। इससे लाखों विद्यार्थियों को राहत मिली है।
मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आंध्र प्रदेश से कहा कि वह 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए राज्य द्वारा सुझाए एहतियाती कदमों से आश्वस्त नहीं है और जब तक वह इस बात से संतुष्ट नहीं होता कि कोविड-19 के कारण किसी की मौत नहीं होगी तब परीक्षाएं कराने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
न्यायालय ने कहा कि वह कई अन्य राज्यों की तरह किसी की मौत होने के मामले में मुआवजे के पहलू पर भी विचार कर सकता है। कई राज्य कोविड-19 के कारण होने वाली मौत के लिए एक करोड़ रुपये देते हैं।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की विशेष पीठ ने राज्य के स्थायी वकील महफूज ए नज्की से परीक्षा कराने की वजह बताते हुए ‘‘फाइल का स्नैपशॉट’’ न्यायालय में पेश करने को कहा।
पीठ ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं कराने के आंध्र प्रदेश सरकार के फैसले पर उससे कड़े सवाल किए। पीठ ने कहा, ‘‘हम उन एहतियाती कदमों से संतुष्ट नहीं हैं जो आप परीक्षाएं कराते वक्त उठाएंगे। आपने जो व्यवस्था दी है हम उससे आश्वस्त नहीं हैं। जब तक हम संतुष्ट नहीं होते कि आप बिना किसी के हताहत हुए परीक्षाएं कराने में सक्षम हैं तब तक हम आपको परीक्षाएं कराने की अनुमति नहीं देंगे।’’