भारतीय जनता पार्टी ने गोवर्धन झड़पिया को लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया है। बता दें कि 2002 के गोधरा दंगो के दौरान गुजरात के गृहमंत्री रहे थे गोवर्धन झड़ापिया। दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए विभिन्न राज्यों में प्रभारियों और सह-प्रभारियों की नियुक्ति की है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की इन नियुक्तियों में एक ऐसा नाम भी है जो कभी नरेंद्र मोदी के लिए मुसीबत का दूसरा नाम बन गया था। यह नाम भाजपा नेता गोवर्धन झड़ापिया का है। कभी उन्होंने मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए मुहिम चलाई थी लेकिन बाद में उन्हीं को प्रधानमंत्री बनाने के लिए प्रचार किया और अब एक बार फिर मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की कमान संभाल रहे हैं।
गोवर्धन झड़ापिया के साथ-साथ दुष्यंत गौतम और नरोत्तम मिश्रा को भी उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया गया है। यह है प्रभारियों की पूरी सूची…
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव 2019 की दृष्टि से विभिन्न प्रदेशों के लिए लोकसभा प्रभारी/सह प्रभारी नियुक्त किए। pic.twitter.com/Og7pvXvtvM
— BJP (@BJP4India) December 26, 2018
कभी कहा था- मोदी को नहीं बनने देंगे प्रधानमंत्री
गोवर्धन झड़ापिया एक लंबे अरसे तक पीएम मोदी के साथ रहे फिर करीब एक दशक तक रिश्तों में खटास रही लेकिन अंत में फिर से मोदी के साथ जुड़ गए। बता दें कि एक समय ऐसा भी था जब झड़ापिया ने मोदी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देने के लिए भी खूब जोर लगाया था। उन्होंने कहा था, ‘हमारी महागुजरात जनता पार्टी (एमजेपी) मोदी को गुजरात की सत्ता से बेदखल करने के लिए आंदोलन जारी रखेगी। एक बार जब वे राज्य में सत्ता खो देंगे तो कभी प्रधानमंत्री बनने का सपना नहीं देख सकेंगे।’

…ऐसे चला झड़ापिया का सियासी सफर
2002 में दंगों के दौरान मोदी कैबिनेट में गृहमंत्री रहे झड़ापिया को मोदी ने उसी साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद कैबिनेट से बाहर कर दिया था। इसके बाद उन्होंने 2007 में अपनी अलग पार्टी बनाई, 2012 में उसे भाजपा के बागी रहे गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की पार्टी में विलय कर दिया।
जिन्हें प्रधानमंत्री बनने से रोक रहे थे उन्हीं के लिए किया प्रचार
संजय जोशी का भाजपा से इस्तीफा हो या बाकी दिग्गजों से मोदी की तनातनी हो समय-समय पर झड़ापिया मोदी के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे। लेकिन अंततः 24 फरवरी 2014 को लोकसभा चुनाव 2014 से ठीक पहले फिर भाजपा का दामन थाम लिया और जिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देने का ऐलान किया था उन्हीं को प्रधानमंत्री बनाने के लिए प्रचार किया।