बिहार के जहानाबाद में एक मां अपने बीमार बच्चे का इलाज कराने के लिए दर-ब-दर भटकती रही। लेकिन कोरोनावायरस की वजह से पहले ही बोझ से दबी स्वास्थ्य व्यवस्था में न तो उसे एंबुलेंस मिली और न ही किसी अस्पताल ने 3 साल के बच्चे को बचाने के लिए जिम्मेदारी ली। बताया गया है कि बच्चे को बुखार था और उसकी मां उसे लेकर जहानाबाद सदर अस्पताल गई थी। लेकिन यहां से उसे पटना के पीएमसीएच रेफर कर दिया गया।

दुनियाभर में कोरोना वायरस से जुड़ी लाइव जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

बच्चे के पिता का आरोप है कि अस्पताल ने उनके बीमार बच्चे के लिए एंबुलेंस सेवा देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने बताया कि हम पैदल ही बच्चे के इलाज के लिए दौड़े, लेकिन किसी ने एंबुलेंस नहीं दी। इस पर जहानाबाद के जिलाधिकारी नवीन कुमार ने कहा कि उन्हें अभी घटना की जानकारी नहीं है। कोरोनावायरस संकट को देखते हुए हम तुरंत ही लोगों को एंबुलेंस मुहैया कराते हैं। लेकिन अगर आरोप सही पाए गए तो कार्रवाई होगी।

Coronavirus in India LIVE Updates: यहां पढ़ें कोरोना वायरस से जुड़ी सभी लाइव अपडेट

इस घटना के बाद एक बार फिर बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब तक इस व्यवस्था को नहीं सुधार पाए हैं। पिछले साल ही बिहार में पिछले साल (2019) ही एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की वजह से सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई थी। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित मुज्जफरपुर में बच्चों की मौत की बड़ी वजह स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही रही थी।प्रशासन के ढीले रवैये की वजह से बच्चों की जान पर खतरा लगातार बढ़ता रहा। बाद में एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर जिले में मेडिकल टीम और जरूरी चिकित्सीय उपकरण भेजने की अपील की थी।

बिहार में यह प्रशासनिक लापरवाही का पहला मामला नहीं था, इससे पहले 2008 और 2014 में भी एईएस से सैकड़ों बच्चों की मौत हुई थी। 2014 में 139 बच्चों की मौत के बाद उनमें कुपोषण को मौत की बड़ी वजह बताया गया था।