बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं। जेडीयू, भाजपा, राजद, कांग्रेस और लोजपा समेत सभी छोटी-बड़ी पार्टियों के बीच चुनावी समीकरण को लेकर बयानबाजी भी शुरू हो गई है। इस बीच राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच जुबानी जंग तेज हुई है। दोनों ने एक-दूसरे की पार्टी को कमजोर करार देते हुए निशाना साधा।
दरअसल, इसकी शुरुआत तब हुई जब ऐसी अटकलें लगाई जाने लगीं कि बिहार में कोरोनावायरस के चलते चुनाव समय पर नहीं हो पाएंगे। सुशील मोदी ने कहा ट्विटर पर लिखा कि “विधानसभा चुनाव समय पर हों या टल जाएं, एनडीए आयोग के निर्णय का पालन करेगा. हम हर स्थिति के लिए तैयार हैं, लेकिन जैसे कमजोर विद्यार्थी परीक्षा टालने के मुद्दे खोजते हैं, वैसे ही राजद अपनी संभावित हार को देखते हुए चुनाव टालने के लिए बहाना खोज रहा है।”
राजद पर हुए इस हमले पर पलटवार करते हुए तेजस्वी यादव ने सुशील कुमार मोदी पर ही निजी हमला कर दिया। तेजस्वी ने सुशील कुमार को कमजोर और गैर-स्वाभिमानी नेता करार देते हुए कहा कि 2013 में नीतीश कुमार ने आपको लात मारकर बाहर फेंक दिया था। लेकिन 2017 में बेहयाई के साथ आप बिना किसी रीजन और विजन की सरकार में शामिल हो लिए। तेजस्वी ने सुशील कुमार मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर आप में हिम्मत है और खुद को इतने ही मजबूत नेता समझते हैं, तो अकेले चुनाव लड़कर देख लें। राजद के डर से ही भाजपा 24 वर्षों से नीतीश जी की पिछलग्गू बनी है।
बिहार विधानसभा चुनाव में तीन महीने का वक्त, चुनाव आयोग लेगा तारीखों पर फैसला
इस पर सुशील मोदी ने शनिवार को कहा था कि विधानसभा चुनाव में तीन महीने की देरी है। तब तक कोरोनावायरस संक्रमण की स्थिति कैसी रहेगी, इस बारे में कहना कठिन है। सुशील कुमार ने कहा था कि इसका फैसला चुनाव आयोग ही लेगा। इसलिए चुनाव आयोग की तैयारियों पर कोई राजनीतिक बयानबाजी नहीं होनी चाहिए।