Alpesh Thakor and Hardik Patel did not get place in Bhupendra Patel cabinet place: साल 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद NDA की प्रचंड जीत के साथ ही गुजरात में आंदोलन (Movement in Gujarat) करके तीन युवा चेहरे हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी मीडिया की सुर्खियों में आए थे। इस आंदोलन की वजह से बीजेपी को साल 2017 के विधानसभा चुनाव में खामियाजा उठाना पड़ा था। इस बार बीजेपी साल 2017 की तरह किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। बीजेपी (BJP) ने गुजरात फतह (Gujarat Win) के लिए नए सिरे से योजना बनाई और जातीय समीकरणों को साधते हुए उन समुदायों को साधा जिनकी वजह से बीजेपी को पिछले विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा था और पार्टी महज 99 सीटों पर सिमट कर रह गई थी।

Hardik Patel और Alpesh Thakor को नहीं मिली मंत्रिमंडल में जगह

हार्दिक पटेल (Hardik Patel) पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक थे, अल्पेश ठाकोर (Alpesh Thakor) ओबीसी आरक्षण को लेकर आंदोलन के लिए उतरे थे तो वहीं जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mevani) दलितों एवं मानवाधिकारों के लिए आंदोलन किया था। इनमें से दो युवा नेता अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल ने इस साल गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले BJP ज्वाइन कर ली थी और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। शपथ ग्रहण से पहले इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी कि इन युवा चेहरों को भूपेंद्र मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आइए आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह।

पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं Hardik Patel

गुजरात के भूपेंद्र कैबिनेट में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को इस बार जगह नहीं मिली है इसके पीछे की बड़ी वजहों में से एक है उनका राजनीति में कम अनुभव होना। हार्दिक पटेल वैसे तो साल 2014 के बाद से ही पाटीदार आंदोलन के नेतृत्व को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन चुके थे लेकिन पिछले चुनाव के दौरान उनकी उम्र इतनी नहीं थी कि वो विधानसभा चुनाव में उतर पाते। इस बार पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। जबकि मंत्रिमंडल में शामिल किए गए लगभग सभी नेता हार्दिक से ज्यादा सीनियर और अनुभव वाले हैं।

हार्दिक पटेल की उम्र (Age of Hardik Patel)

इस बार के गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे हार्दिक पटेल ने गुजरात की वीरगाम सीट से 51 हजार से भी ज्यादा वोटों से चुनाव जीता। इतने बड़े अंतर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले हार्दिक पटेल की उम्र अभी 30 साल भी नहीं हुई है जबकि पिछले चुनाव में वो चुनाव लड़ने की योग्यता (25 वर्ष) से भी कम उम्र के थे। भूपेंद्र मंत्रिमंडल में हार्दिक पटेल को जगह नहीं मिलने की बड़ी वजह उनकी कम उम्र का होना भी है।

पाटीदार समुदाय के बड़े नेताओं को Cabinet में जगह

हार्दिक पटेल को भूपेंद्र कैबिनेट में जगह नहीं मिलने के पीछे एक बड़ी वजह ये भी रही कि पाटीदार समुदाय के बड़े नेताओं को कैबिनेट में जगह दी गई है उनकी तुलना में हार्दिक अभी पार्टी के लिए नए हैं। कैबिनेट में जगह पाने वाले बीजेपी नेता ऋषिकेश पटेल और खुद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी पाटीदार समुदाय से हैं। वहीं पाटीदार समुदाय के नेता मुकेश पटेल को एक बार फिर मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।

गुजरात चुनाव में BJP का ये था जातीय समीकरण

साल 2017 में अपनी पूरी ताकत झोंकने के बावजूद बीजेपी गुजरात विधानसभा चुनावों में महज 99 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। इस बार बीजेपी गुजरात चुनाव को लेकर कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही थी। इसलिए बीजेपी ने सबसे पहले पिछले चुनावों का विश्लेषण किया और इस बार गुजरात में जाति समुदायों के आंदोलन चलाने वाले अलग-अलग समुदाय के नेताओं को अपने साथ शामिल कर लिया बीजेपी के इस कदम से उसे बड़ा फायदा भी मिला। राज्य की सभी 182 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में से भाजपा ने 156 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं कांग्रेस (Congress) को महज 17 और आम आदमी पार्टी को सिर्फ 5 सीटों पर जीत हासिल हुई।

इस बार पाटीदार और सवर्णों ने जमकर BJP को वोट दिया

CSDS-लोकनीति के पोस्ट पोल के सर्वे से पता चला है कि गुजरात चुनाव में इस बार बीजेपी को पाटीदार, ओबीसी और उच्च जातियों ने जमकर वोटिंग की है। वहीं ‘द हिंदू’ पर आई एक रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सवर्णों का 62 फीसदी, पाटीदार समुदाय से सबसे ज्यादा 64 फीसदी कोली समुदाय से 59 फीसदी जबकि दलितों से 44 फीसदी और आदिवासी समुदाय से 53 फीसदी वोट मिले हैं।