Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शनिवार (20 अगस्त, 2022) को अनुकम्पा को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी के होते हुए अनुकम्पा की नियुक्ति का लाभ बहन को नहीं मिल सकता है। अनुकम्पा नियुक्ति पर पहला अधिकार पत्नी का होगा। न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने कहा कि बहन अपने भरण पोषण के लिए अन्य नियमों के तहत दावा कर सकती है। न्यायालय ने यह आदेश कानपुर की मोहिनी कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है। मोहिनी मृतक भाई की बहन है।

याचिकाकर्ता मोहिनी के अनुसार, उसके पिता नगर निगम कानपुर में सफाई कर्मचारी थे। जिसकी नौकरी के दौरान ही मृत्यु हो गयी थी। जिसके बाद वह नौकरी अनुकंपा के आधार पर भाई को मिल गई। पूरा परिवार भाई पर ही निर्भर था, जिसके बाद अब अनुकम्पा नियुक्ति के तौर पर उसे नौकरी दी जानी चाहिए। उसने बताया कि दिसम्बर 2021 में उसने इस मामले में नगर निगम कानपुर के समक्ष अपना प्रत्यावेदन भी दिया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि भाई की शादी हो चुकी है। इसलिए यह अधिकार पहले उनकी पत्नी का है। उसकी पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति का दावा पहले ही कर रखा है। जिसके बाद कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि अब बहन द्वारा की जा रही अनुकंपा नियुक्ति की मांग सही नहीं है।

बता दें, पिछले दिनों 3 अगस्त, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पीसीएस 2021 भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम रद्द कर दिया था। पूर्व सैनिकों को पांच फ़ीसदी आरक्षण नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट ने परिणाम रद्द किया था।

इस दौरान कोर्ट ने पूर्व सैनिकों को 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने का आदेश दिया था और नए सिरे से परिणाम घोषित करने को कहा था। साथ ही परिणाम जारी होने के एक महीने के अंदर मेंस परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी करने का भी निर्देश दिया था

याचिका में कहा गया था कि साल 1999 में कारगिल युद्ध के बाद राज्य सरकार ने पूर्व सैनिकों को दिए जाने वाले आरक्षण में बदलाव किया था। पूर्व सैनिकों को पांच फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन इसमें ग्रुप ए और बी को हटा दिया गया था।