खुफिया सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का वासी सनाउल हक ही वह शख्स है जो अल कायदा की दक्षिण एशियाई विंग का सरगना है। दरअसल सनाउल ही मौलाना आसिम उमर नामक आतंकी है जिसे अल कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी ने खुद एक्यूआइएस का अमीर (भारत का प्रमुख) घोषित किया था।
यह जानकारी अलकायदा के दो गिरफ्तार आतंकवादियों से मिली है। इनमें एक आतंकी संभल का मोहम्मद आसिफ है। दूसरा कटक का मौलाना अब्दुल रहमान है। इन दोनों को सनाउल हक ने भारत में जेहादी तैयार करने का जिम्मा दिया था। रहमान कटक के टांगी इलाके में मदरसा चलाता है। सूत्रों का कहना है कि कम से काम पांच भारतीय पाकिस्तान में अल कायदा का नेटवर्क तैयार करने में लगे है।
इस बीच दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि मोहम्मद आसिफ अल कायदा के भारतीय उपमहाद्वीप विंग के भर्ती और प्रशिक्षण को संचालित करने वाले गुट का संस्थापक सदस्य है। क्रिसमस और नए साल के दौरान राजधानी में कथित रूप से हमलों की साजिश रच रहे जेहादी संगठन के संदिग्ध मोहम्मद आसिफ (41) को मंगलवार रात को ही गिरफ्तार कर लिया गया। उसे 14 दिनों की पुलिस रिमांड पर लेकर पुलिस ने पूछताछ की। उससे मिली जानकारी के बादओड़िशा से मौलवी रहमान की गिरफ्तारी की गई। सूचना थी कि दोनों संदिग्ध आतंकी प्रशिक्षण लेने के लिए कुछ महीने पहले अफगानिस्तान और पाकिस्तान गए थे।
अल कायदा के इन दो संदिग्धों को दिल्ली और ओड़िशा से गिरफ्तार करने का दावा करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने इन गिरफ्तारियों के साथ ही देश से बाहर सक्रिय इस आतंकवादी समूह के भारतीय उपमहाद्वीप विंग के माड्यूल का पर्दाफाश कर दिया है।
पुलिस ने बताया कि मोहम्मद आसिफ (41) नाम के शख्स को जहां उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर से गिरफ्तार किया गया वहीं एक अन्य आतंकी अब्दुल रहमान (37) को ओड़िशा के कटक के जगतपुर इलाके से दबोचा गया। आसिफ सेमिले सुराग पर रहमान को दिल्ली पुलिस और ओड़िशा पुलिस ने मिलकर दबोचा। पुलिस के मुताबिक, रहमान को जगतपुर इलाके के पश्चिमाकच्चा गांव स्थित उसके घर से दिल्ली पुलिस और ओड़िशा पुलिस ने संयुक्त छापामारी अभियान चलाकर गिरफ्तार किया।
दिल्ली में स्पेशल सेल के विशेष पुलिस आयुक्त अरविंद दीप ने बताया कि दोनों को गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने आसिफ के पास से तीन मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, आपत्तिजन दस्तावेज, जेहादी साहित्य बरामद किया है। समझा जाता है कि रहमान के सऊदी अरब, पाकिस्तान और दुबई में अंतरराष्ट्रीय संपर्क हैं।
पुलिस ने बताया कि रहमान के भाई ताहिर अली को कोलकाता स्थित अमेरिकन सेंटर पर हुए आतंकी हमले के संबंध में 2001 में गिरफ्तार किया गया था। दीप ने बताया कि जून 2013 में आसिफ दो अन्य युवकों के साथ दिल्ली से तेहरान रवाना हो गया था। वहांं वह कासिम से मिला जिसने उनके लिए ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के जाहिदान के लिए टिकटों की व्यवस्था की। वहां से वे ईरान-पाकिस्तान सीमा की ओर गए और उन्होंने सीमा पैदल पार किया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान पहुंचने के बाद भी उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखी।
वे दक्षिणी वजीरिस्तान पार कर उत्तर वजीरिस्तान के सुमाली पहुंचे। वहां आसिफ ने अपने उस्मान (कूट नाम असद) नाम के एक ऐसे भारतीय मित्र से मुलाकात की जो काफी पहले ही भारत छोड़कर वहां जा बसा था। यह उस्मान ही था जिसने आसिफ का मौलाना आसिम उमर (सनाउल हक) से परिचय कराया। मौलाना आसिम उमर भारतीय मूल का आतंकवादी था जिसे और किसी ने नहीं बल्कि अल कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी ने खुद एक्यूआइएस का अमीर (भारत का प्रमुख) घोषित किया था। वजीरिस्तान में आसिफ को सघन प्रशिक्षण दिया गया।
स्पेशल सेल के प्रमुख ने बताया कि यह वही समय था जब अमेरिकी सेना इस ठिकाने के आसपास स्थित बहुत से स्थानों पर सफल ड्रोन हमले कर रही थी और इसी तरह के एक हमले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का प्रमुख हकीमुल्लाह महसूद मारा गया था।