सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार बसपा के वोटबैंक में सेंधमारी का प्रयास कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने यूपी के रायबरेली में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया। वहीं अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद एक मंच पर आएंगे। 14 अप्रैल को डॉ बी आर अम्बेडकर की जयंती (Ambedkar Jayanti) है। मध्य प्रदेश के महू में डॉ बी आर अम्बेडकर की जन्मस्थली पर एक मंच पर तीनों नेता साथ आएंगे। यह आयोजन दलित मतदाताओं से भाजपा की ओर झुकाव न करने का आग्रह करने के लिए तीन नेताओं के एक आउटरीच कार्यक्रम का हिस्सा है।
तीनों नेता डॉ अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के बाद एक जनसभा को संबोधित करेंगे। सपा और रालोद दोनों ने उत्तर प्रदेश में अपनी जिला इकाइयों को पूरे राज्य में अंबेडकर जयंती मनाने का निर्देश दिया है। यह पहली बार होगा कि तीनों नेता दलितों को एकता का संदेश देने और भविष्य के चुनावों में उनका समर्थन लेने के लिए एक साथ एक मंच पर देखा जायेगा।
यह घटना तीनों पार्टियों को दलित वोटों पर नजर रखने के साथ लोकसभा चुनाव की पिच बनाने में मदद करेगी। सपा ने इस साल के अंत में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने का भी फैसला किया है। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी मध्य प्रदेश में काफी अधिक है। 2018 के विधानसभा चुनाव में सपा ने एमपी में एक सीट जीती थी।
एक सपा नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “महू की भूमि से अपनी-अपनी पार्टियों के तीनों शीर्ष नेता यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए सपा और रालोद के सहयोगी के रूप में अपनी पिच शुरू करेंगे। चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी भी गठबंधन में शामिल हो सकती है और उनकी पार्टी उन सभी को दलितों का समर्थन हासिल करने में मदद कर सकती है।”
सपा ने पिछले महीने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में बसपा संस्थापक और दलित नेता कांशीराम की जयंती मनाई थी। अखिलेश यादव ने सोमवार को रायबरेली जिले में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया और पार्टी की इकाइयों को सभी जिलों में बड़े पैमाने पर अंबेडकर की जयंती मनाने का निर्देश दिया।
सपा के एक नेता ने कहा, “बसपा यूपी में दलितों के समर्थन का दावा करती है। लेकिन समय के साथ बसपा का दलितों के प्रति नजरिया बदला है। जहां सपा और रालोद के नेता कांशीराम और अंबेडकर की जयंती सार्वजनिक रूप से मना रहे हैं, वहीं बसपा अध्यक्ष मायावती लखनऊ और दिल्ली में रहकर पार्टी कार्यालयों में दोनों दलित आइकन को श्रद्धांजलि देती हैं। जनता को लामबंद करने के लिए जमीन पर काम करना आवश्यक है।”