सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तीन महीने में सुपरटेक बिल्डर के एम्राल्ड कोर्ट परिसर स्थित 40 मंजिला जुड़वां टॉवर को कैसे गिराया जाएगा, इसको लेकर तकनीकी तौर पर तैयारियां की जा रही है। ध्वस्तीकरण के दौरान अहम मुद्दा प्रदूषण का भी होगा। इमारत को ध्वस्त करने और मलबे को निस्तारण स्थल तक पहुंचाने का कार्य ट्रकों से किया जाएगा। इससे शहर की वायु में प्रदूषण (पीएम-2.5) का बढ़ना तय माना जा रहा है। इसके लेकर पर्यावरणविद् चिंता जता रहे हैं।
जानकारों का मानना है कि करीब 121 मीटर ऊंचे दोनों टावर गिराना आसान कार्य नहीं है। इन्हें विस्फोट के जरिए या मजदूरों को लगाकर, कैसे गिराया जाए, इसको लेकर असमंजस है। दोनों ही स्थिति में वातावरण में पीएम-2.5 का स्तर बढ़ेगा।
ऐसे में प्राधिकरण इसे खुद ध्वस्त कर या यह कार्य किसी एजंसी के जरिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में किया जाए। अगर विस्फोट के जरिए इन्हें गिराया जाता है तो एक्सप्लोसिव विभाग से एनओसी लेनी होगी। साथ ही एनजीटी के नियमों का पालन करना होगा। पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ ने बताया कि इतनी बड़ी इमारत को ध्वस्त करने के लिए पर्यावरण मानकों का पूरा ध्यान रखना होगा। लापरवाही से आसपास के लोगों को काफी समस्या हो सकती है।
बताया जा रहा है कि इमारत के ध्वस्तीकरण के दौरान जो भी मलबा निकलेगा उसे पुनर्चक्रित (रिसाइकिल) किया जा सकता है। यदि रिसाइकिल किया जाता है तो एनजीटी के सभी मानकों का पालन इनको करना होगा। इसके लिए एक संयंत्र इस स्थल के आसपास ही लगाना होगा। सेक्टर-82 में लगे संयंत्र तक ले जाने में समस्या के साथ पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी ज्यादा होगा।