किसानों के एक समूह पर पिछले महीने पुलिस को लाठीचार्ज करने का आदेश देने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बड़ी संख्या में किसान बुधवार को करनाल जिला मुख्यालय के प्रवेश द्वार के बाहर डटे रहे। किसान स्थानीय प्रशासन से बातचीत विफल रहने के बाद मंगलवार शाम को लघु सचिवालय के प्रवेश द्वारों के बाहर बैठे रहे। कई किसानों ने वहीं रात बिताई।

भारतीय जनता पार्टी की बैठक स्थल की ओर मार्च करने की कोशिश के दौरान पुलिस के साथ झड़प में करीब 10 प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे। उनके नेताओं ने यह भी दावा किया कि एक किसान की बाद में मौत हो गयी। हालांकि प्रशासन ने इस आरोप से इनकार किया। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात रहा।

हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चडूनी) प्रमुख गुरनाम सिंह चडूनी ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, ‘‘हम यहां से तब तक कहीं नहीं जा रहे हैं जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती।’’ सिन्हा के निलंबन की मांग पर उन्होंने कहा, ‘‘पहले तो हम कह रहे हैं कि उनका तबादला करना सजा नहीं है। हम यह भी कह रहे हैं कि जब किसानों पर सड़क अवरुद्ध करने तक के लिए मामला दर्ज कर लिया जाता है तो उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए जिन्होंने पुलिस को सिर फोड़ने का आदेश दिया।” हालांकि अफसर कह रहे हैं कि निलंबन का अधिकार उनके पास नहीं है।

किसानों की अफसरों से बातचीत बेनतीजा रहने की चिंता किसानों के चेहरे पर साफ नजर आई। इस बीच दिल्ली-करनाल-अंबाला एनएच-44 पर यातायात सामान्य है। किसानों की महापंचायत से एक दिन पहले सोमवार को यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई थी और केंद्रीय बलों को तैनात किया गया था। (सभी तस्वीरें – सुखबीर सिवाच- इंडियन एक्सप्रेस)