उत्तर प्रदेश में जहां एक तरफ योगी सरकार बड़े पैमाने पर रोजगार देने की बात कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के पावर कॉर्पोरेशन विभाग में 600 से ज्यादा कर्मचारियों से तीन साल नौकरी कराने के बाद उन्हें बेरोजगार बनाने का मामला सामने आया है। अब यह लोग अपनी नौकरी को बहाल करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन करने वाले लोगों का कहना है कि हमारी मांगों पर कोर्ट ने आदेश दिया है लेकिन योगी सरकार द्वारा इसका पालन नहीं हो रहा है।
प्रदर्शन कर रहे युवाओं के मुताबिक इनका चयन साल 2014 में हुआ था। 2016 में भर्ती के कुछ नियमों में बदलाव किया गया जिसके कारण एक झटके में 613 लोग नौकरीहीन हो गए। इन लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि सभी कर्मचारियों को मूल पद पर दोबारा लौटाया जाए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार इन लोगों को खाली पड़े पदों पर समायोजित करे लेकिन अब तक इन भर्ती नहीं हो पाई है।
प्रदर्शकारियों का कहना है कि कोर्ट का आदेश आए डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है लेकिन विभाग की तरफ से उस पर कोई विचार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हर बार अधिकारी विचार करने का आश्वासन देते हैं लेकिन कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं। वहीं एक प्रदर्शनकारी का कहना है कि नौकरी जाने के कारण हालात बहुत दयनीत होते जा रहे हैं। परिवार को दो वक्त का खाना खिलाना मुश्किल है।
तीन साल तक नौकरी करने वाले यह पूर्व कर्मचारी पिछले करीब 10 दिनों से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जुटे हुए हैं। अधिकारी से लेकर मंत्री तक इनकी शिकायतों के बारे में जानते हैं लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पिछले दिनों दावा किया था कि सरकार ने अपने चाढ़े साल के कार्यकाल में 6 लाख 65 हजार से ज्यादा लोगों को नौकरियां देकर सपा व बसपा सरकार के दौरान दी गईं नौकरियों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सरकार ने ऐलान किया है कि आने वाले दिसंबर महीने में एक बार फिर से बड़े पैमाने पर भर्तियां की जाएंगी। उनके इस फैसले को आगामी चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है।