पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अभी वह लोकसभा चुनावों में भाजपा की ओर से लगे झटकों से उबर ही नहीं पाई हैं कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की ओर सारदा घोटाले की जांच तेज करने और कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के सीबीआइ के प्रयासों ने उनके लिए एक नया सिरदर्द पैदा कर दिया है। फिलहाल राजीव कुमार, जो अब खुफिया विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक हैं, और जांच एजंसी के बीच लुकाछिपी का खेल शुरू हो गया है। राजीव कुमार जहां गिरफ्तारी से बचने के लिए कानूनी सहायता लेने का प्रयास कर रहे हैं वहीं सीबीआइ उनके तमाम प्रयासों को फेल कर हिरासत में लेने पर अड़ी है।
सीबीआइ ने उनको इस सप्ताह सोमवार को पेशी के लिए समन भेजा था। लेकिन राजीव कुमार ने हाजिर होने की बजाय एक पत्र के जरिए और सात दिनों का समय मांगा है। उन्होंने कहा है कि निजी वजहों से छुट्टी पर होने के कारण वे फिलहाल पूछताछ के लिए पेश नहीं हो सकते। सीबीआइ की एक टीम शनिवार रात को उनके दफ्तर एवं आवास पर गई थी और उनकी गैर-हाजिरी में समन सौंपा था। इससे पहले राज्य सरकार ने आचार संहिता खत्म होते ही राजीव को खुफिया विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक के उनके पुराने पर पद पर बहाल कर दिया था। उससे पहले बीते दिनों महानगर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटा कर केंद्रीय गृह मंत्रालय से संबद्ध कर दिया था। उससे पहले शनिवार को सीबीआइ ने कुमार के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था। गिरफ्तारी से राहत के लिए उनकी अर्जी भी सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो चुकी है। राज्य के किसी अदालत से भी उनको ऐसी राहत नहीं मिल सकी है। इससे उनकी गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है।
ध्यान रहे कि सारदा घोटाले में कुमार से पूछताछ के मुद्दे पर बीती फरवरी से बवाल चल रहा है। राजीव कुमार को ममता के बेहद करीबी माना जाता है। तब सीबीआइ की एक टीम के उनके आवास पर जाने के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अनशन पर बैठी थीं। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जांच एजंसी ने मेघालय की राजधानी शिलांग में राजीव से पांच दिनों तक पूछताछ की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से गिरफ्तारी पर रोक की वजह से सीबीआइ उनको हिरासत में नहीं ले सकी थी। अब बीती 17 मई को अदालत ने वह सुरक्षा वापस लेते हुए कुमार को बंगाल में अदालत से अग्रिम जमानत लेने को कहा था। लेकिन वकीलों की हड़ताल की वजह से राजीव कुमार की जमानत की अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी है।
सीबीआइ कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है। राज्य सरकार ने उक्त घोटाले की जांच के लिए जिस विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, राजीव उसके प्रमुख थे। जांच एजंसी ने राजीव पर सबूतों को नष्ट करने का भी आरोप लगाया है। सीबीआइ राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है। इस मामले के सीबीआइ के हाथों में जाने से पहले घोटाले की जांच के लिए बने विशेष जांच दल (एसआइटी) की कमान राजीव कुमार के हाथों में ही थी। सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि घोटाले की बिखरी कड़ियों को जोड़ने के लिए राजीव कुमार से हिरासत में पूछताछ जरूरी है। जांच एजंसी ने कुमार पर इस घोटाले के सबूतों को नष्ट करने का भी आरोप लगाया है। दूसरी ओर, कुमार ने शीर्ष अदालत में दायर अपने हलफनामे में कहा था कि सीबीआइ इस घोटाले में उन्हें जानबूझ कर फंसाना चाहती है। सीबीआइ ने अदालत के निर्देश पर वर्ष 2014 में उक्त घोटाले की जांच शुरू की थी। सारदा समूह के अध्यक्ष सुदीप्तो सेन ने वर्ष 2013 में सीबीआइ को भेजे एक पत्र में कहा था कि उन्होंने कई राजनेताओं, व्यापारियों, पत्रकारों और दूसरे लोगों को मोटी रकम का भुगतान किया था।

