राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले 65 वर्षीय व्यक्ति के मरणोपरांत अंगदान से मध्यप्रदेश के तीन जरूरतमंद मरीजों को नयी जिंदगी मिलने की राह शुक्रवार ( 27 सितंबर) को आसान हो गई और इस व्यक्ति का लीवर तथा दोनों किडनी इन मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित किए गए। अंगदान को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार के साथ काम कर रहे स्वयंसेवी संगठन मुस्कान ग्रुप के कार्यकर्ता जीतू बगानी ने इस बारे में मीडिया से बातचीत की।

अंगदान के लिए सहमत हुए परिजनः कार्यकर्ता जीतू बगानी ने बताया कि राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से ताल्लुक रखने वाले बर्तन कारोबारी अशोक तड़वेचा (65) को ब्रेन हैमरेज के बाद इलाज के और सर्जरी के बावजूद उनकी सेहत बिगड़ती चली गई और डॉक्टरों ने उन्हें गुरूवार ( 26 सितंबर) को दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया। उन्होंने बताया कि तड़वेचा के मरणोपरांत अंगदान के लिए उनके परिजन सहमत हो गए और उनके लीवर एवं दोनों किडनियों को तीन अलग अलग लोगों के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया।

38 मरीजों का हो चुका है अंगदानः दूसरी ओर अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में पिछले चार साल के दौरान दिमागी रूप से मृत 38 मरीजों का अंगदान हो चुका है और इनसे मिले दिल, लीवर, किडनी, आंखों और त्वचा के प्रत्यारोपण से मध्यप्रदेश के अलावा दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में करीब 220 जरूरमंद मरीजों को नए जीवन की अनमोल सौगात मिली है।

बता दें अंगदान करने के लिए कोई तय उम्र सीमा नहीं होती है। भारतीय कानून के मुताबिक अंग दान कानूनी हैं। हर साल लाखों लोगों की मौत सिर्फ इसलिए हो जाती है, क्योंकि उन्हें कोई डोनर नहीं मिल पाता है। इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद ऑर्गन डोनेट करने वालों की कमी के चलते लोगों की असमय मौत हो जाती है। बता दें इस प्रक्रिया को एक निश्चित समय के अंतर्गत पूरा करना होता है। ज्यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं।