देश के चार राज्यों और केंद्र प्रशासित पुडुचेरी में हाल के विधानसभा चुनाव में 3,500 से अधिक निर्दलीय उम्मीदवार अपनी चुनावी किस्मत आजमाने उतरे लेकिन नौ ही चुनाव में जीत का परचम लहरा पाए। सफल उम्मीदवारों में केरल से सर्वाधिक छह और पश्चिम बंगाल, असम व पुडुचेरी से एक-एक उम्मीदवार शामिल हैं। तमिलनाडु से सबसे अधिक 1,566 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में उतरे, लेकिन इनमें से कोई जीत नहीं पाया।

चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक इन विधानसभा चुनावों में कुल 3,526 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। इनमें से केरल में 782, असम में 711, पश्चिम बंगाल में 371 और पुडुचेरी में 96 निर्दलीय उम्मीदवार थे। इन चुनावों में 8,873 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। सबसे अधिक 1,961 उम्मीदवार तमिलनाडु से, पश्चिम बंगाल से 1,961, असम से 1,581, केरल से 1,203 और पुडुचेरी से 344 उम्मीदवार शामिल थे।

कुल 761 महिला उम्मीदवारों में 320 तमिलनाडु में चुनाव मैदान में थीं, जबकि पश्चिम बंगाल में 200, असम में 111, केरल में 109 और पुडुचेरी में 21 महिला उम्मीदवार थीं। पश्चिम बंगाल में निर्दलीय उम्मीदवारों ने कुल मत (11,84,047 मतों) का 2.2 फीसद, तमिलनाडु (6,17,907 मत) में 1.4 फीसद, केरल (10,66,995 मत) में 5.3 फीसद मत हासिल किया। असम (18,67,532) में निर्दलीय उम्मीदवारों का मत फीसद 11 और पुडुचेरी (62,884) में 7.9 फीसद रहा।

पश्चिम बंगाल में 6,55,46,101, तमिलनाडु में 5,79,15,075 और केरल में 2,56,08,720 मतदाता थे। जबकि असम में 1,98,66,496 और पुडुचेरी में 9,27,034 मतदाता थे। इन राज्यों में 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में सात निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे थे। इनमें से पश्चिम बंगाल, असम और केरल से दो-दो और पुडुचेरी से एकमात्र निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। बहरहाल पिछली बार के चुनाव में भी तमिलनाडु से कोई निर्दलीय नहीं जीत पाया।