Bihar Political Crisis: जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के इस्तीफा देने के बाद से जेडीयू में एनडीए गठबंधन को लेकर घमासान मचा हुआ है। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता दल (यूनाइटेड) के सभी विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। इस बैठक को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि जेडीयू बीजेपी को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती है। वहीं, आरजेडी ने भी मंगलवार को अपने नेताओं की बैठक बुलाई है। जिसे देखकर इस बात के अनुमान भी लगाए जा रहे हैं कि कहीं बिहार में जेडीयू एनडीए का साथ तो नहीं छोड़ने वाली। हालांकि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में हम ये देख चुके हैं।
इसके पहले साल 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही जेडीयू और बीजेपी में तनाव बढ़ता हुआ दिखाई दिया है। सबसे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्रालय के बंटवारे को लेकर दोनों सियासी दलों में विवाद दिखा था। हालांकि तब जेडीयू ने इशारों में हिस्सेदारी के ऑफर को ठुकरा दिया था। आइए हम आपको बताते हैं दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ने के 5 बड़े कारण।
1- Speaker को पसंद नहीं करते नीतीश कुमार
नीतीश कुमार चाहते हैं कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को हटा दिया जाए। मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा पर कई बार नाराजगी जताई है। नीतीश कुमार ने अपनी सरकार के खिलाफ विजय कुमार के सवाल उठाकर संविधान का खुले तौर पर उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
2- केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक पद से नाराज हैं CM Nitish Kumar
नीतीश कुमार अपनी पार्टी जद (यू) को जून 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार में केवल एक ही केंद्रीय मंत्री के पद की पेशकश के बाद से नाराज हैं। उन्होंने बिहार के विस्तारित मंत्रिमंडल में अपने पार्टी के आठ सहयोगियों को शामिल करके इसका पलटवार किया था और एक सीट बीजेपी नेता के लिए खाली छोड़ दिया था।
3- Lok Sabha and Assembly Polls के खिलाफ हैं नीतीश कुमार
जद (यू) प्रमुख राज्य और राष्ट्रीय चुनाव एक साथ कराने के खिलाफ हैं। राज्यों और संसद के चुनाव एक साथ कराने का विचार पीएम मोदी ने किया था, जिसका विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है। यह उन मुद्दों में से एक था जहां जद (यू) को विपक्ष के साथ जमीन मिली।
4- अपने मंत्रिमंडल में BJP नेताओं का बड़ा हिस्सा चाहते थे नीतीश कुमार
एनडीटीवी के मुताबिक नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल में बीजेपी के मंत्रियों के चयन में एक बड़ा हिस्सा चाहते थे। उनका यह कदम गृह मंत्री अमित शाह की बिहार पर कथित पकड़ को कमजोर करेगा। उदाहरण के लिए बीजेपी के सुशील मोदी, जो नीतीश कुमार के साथ काफी समय तक बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे थे, को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने बिहार की सियासत से बाहर कर दिया।
5- RCP सिंह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाने से नाराज थे नीतीश कुमार
नीतीश कुमार बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सहयोगी दलों के नेताओं को केंद्रीय मंत्री के रूप में सांकेतिक प्रतिनिधित्व देने से नाराज हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने केंद्रीय मंत्री बनने के लिए नीतीश कुमार को दरकिनार करते हुए बीजेपी नेतृत्व से सीधे बातचीत की थी। शनिवार (6 अगस्त) को उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। इस बात को लेकर रविवार (7 अगस्त) को जदयू के मौजूदा अध्यक्ष ललन सिंह ने उन पर और बीजेपी का नाम लिए बिना हमला भी बोला था। ललन सिंह ने कहा था, “केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की क्या जरूरत है? मुख्यमंत्री ने 2019 में फैसला किया था कि हम केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होंगे।”