अजित राय
गोवा फिल्म समारोह में फिल्म फैसिलीटेशन आॅफिस (एफएफओ) के प्रमुख विक्रमजीत रॉय ने कहा कि पिछले एक साल में करीब तीस विदेशी फिल्मकारों को भारत में फिल्मों की शूटिंग की अनुमति दी गई है। वे यहां एक विशेष सत्र में फिल्म निर्माता संजय सूरी के साथ बोल रहे थे। भारतीय फिल्मों को विश्व बाजार में प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) पिछले दस सालों से फिल्म बाजार का आयोजन करता रहा है। फिल्म फैसिलीटेशन आॅफिस केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम कर रहा है। इसे भारत में ‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस योजना’ लागू करने के लिए स्थापित किया गया है जिससे भारत में विदेशी फिल्मों की शूटिंग में अड़चनें दूर की जा सकें।
विक्रमजीत रॉय ने कहा कि सरकार दुनिया भर के फिल्मकारों को भारत में अपनी फिल्मों की शूटिंग के लिए हर तरह की बाधाएं दूर करने जा रही है। उनकी सुविधा के लिए ही फिल्म फैसिलीटेशन आॅफिस की स्थापना की गई है जिससे एक ही जगह सभी समस्याओं का हल निकल सके। हम केंद्र सरकार के सोलह मंत्रालयों और विभागों के साथ राज्य सरकारों से तालमेल बिठाकर फिल्म निर्माण के लिए जरूरी कानूनी अनुमति दिलवाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयासों से हरियाणा सहित कई राज्यों ने फिल्म नीति बनाने की पहल की है। राष्टÑीय फिल्म पुरस्कारों में एक नया पुरस्कार जोड़ा गया है-‘फिल्म फ्रेंडली स्टेट’। यह पुरस्कार पिछले दो सालों में गुजरात और उत्तर प्रदेश को मिल चुका है। कई बार केवल 48 घंटे में अनुमति मिल गई है। हमारे प्रयासों से दुनिया भर में भारतीय दूतावासों ने फिल्म वीजा की शुरुआत की है जिससे विदेशी फिल्मकारों को काफी सुविधा हो रही है। पटकथा और सेंसरशिप के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सुरक्षा कारणों से यह जरूरी है। हमारे वरिष्ठ राजनयिकों की समिति विदेशी फिल्मों की पटकथा का मूल्यांकन करती है। देशी फिल्मकारों को पटकथा जमा कराने की जरूरत नहीं है। सरकार फिल्म निर्माण की हर बाधा को आपसी बातचीत से हल करना चाहती है। लोगों को जो बाधा लगती है वह कानून और व्यवस्था का मामला है। कई विदेशी फिल्मकारों से बातचीत करके हम उन्हें यह समझाने में सफल रहे कि संवेदनशील और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सावधानी बरतने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इस बार फिल्म बाजार में दस राज्य हिस्सेदारी निभा रहे हैं। इस साल कान फिल्म समारोह के भारतीय पैविलियन में महाराष्टÑ, ओड़ीशा, गोवा और उत्तर प्रदेश ने हिस्सा लिया।यह पूछे जाने पर कि सरकार ‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस’ योजना क्यों नहीं लागू कर पा रही है जिसकी मांग हर अंतरराष्टÑीय फिल्म समारोह में विदेशी फिल्मकार करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून और व्यवस्था का मामला है जो राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है। किसी फिल्म की शूटिंग की अनुमति में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ-साथ विदेश, गृह, वित्त, प्रतिरक्षा, संस्कृति, रेलवे, नागरिक उड्डयन, पर्यटन आदि सोलह मंत्रालयों और विभागों की भूमिका होती है। इसके अलावा जिस इलाके में शूटिंग होनी है, वहां का स्थानीय प्रशासन और पुलिस को सब देखना होता है। हमारे नोडल अधिकारी सबसे समन्वय करके अनुमति दिलवाते हैं। किसी एक खिड़की पर यह कैसे संभव है। उन्होंने कहा कि हम जल्दी ही अपनी वेबसाइट बना लेंगे जिससे सारा काम आॅनलाइन हो सके। इस वेबसाइट पर देशभर के प्रमुख निर्माताओं, ट्रांसपोर्ट आपरेटरों, लाइन प्रोड्यूसरों और दूसरी सुविधाओं का विवरण मिल सकेगा।
संजय सूरी ने पूछा कि जब कोई भारतीय फिल्मकार विदेशों में शूटिंग करता है तो वहां की सरकार उसे वैट के पैसे वापस करती है तो क्या भारत सरकार विदेशी फिल्मकारों को जीएसटी के पैसे वापस करेगी। विक्रमजीत रॉय ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार चल रहा है और जल्दी ही इसका हल निकलेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया भर की सरकारों ने महसूस किया है कि जिन जगहों को फिल्मों में दिखाया जाता है वहां पर्यटन बढ़ जाता है। इससे काफी लोगों को रोजगार मिलता है। हम इस दृष्टि से भी भारतीय पर्यटन स्थलों और शूटिंग लोकेशन की मार्केटिंग कर रहे हैं। अभी ऐसी कई विदेशी फिल्मों की शूटिंग भारत में हुई जिन्हें पाकिस्तान ने मना कर दिया था। हॉलीवुड की कई बड़ी कंपनियां भारत में फिल्मों की शूटिंग के लिए आना चाहती है।
उन्होंने कहा कि इसमें सबसे बड़ा मुद्दा है कि वे भारत की कैसी छवियां दिखाना चाहते हैं। यदि वे नियम कानून के तहत प्रस्ताव देते हैं तो अनुमति देने में कोई बाधा नहीं है। हमारे प्रयासों से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपनी कई ऐतिहासिक इमारतों को फिल्मों की शूटिंग के लिए खोल दिया है। विक्रमजीत रॉय ने फिल्म बाजार की सफलता के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इससे देश के हजारों नौजवानों को अपनी फिल्मों की मार्केटिंग का मंच मिला है। यहीं से सैकड़ों भारतीय फिल्मों को दुनिया भर में जाने का रास्ता खुला है। यहां विश्व के सभी महत्त्वपूर्ण अंतरराष्टÑीय फिल्म समारोहों के निर्देशकों से मिलने का अवसर मिला है। युवा फिल्मकारों के सपनों को साकार करने में फिल्म बाजार की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि इस बार फिल्म बाजार में महाराष्टÑ, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, झारखंड, लक्षद्वीप और दिल्ली ने फिल्म फैसिलीटेशन आॅफिस के साथ अपने राज्यों को देशी-विदेशी फिल्मों की शूटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए साझेदारी की।