उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) से जुड़े कार्यों में लापरवाही बरतने के आरोप में 21 बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के खिलाफ गुरुवार को मुकदमा दर्ज किया गया।

जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी रवींद्र कुमार मांदड़ के निर्देश पर उप तहसीलदार आलोक कुमार यादव ने सिहानी गेट थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। सहायक पुलिस आयुक्त उपासना पांडेय ने मुकदमा दर्ज होने की पुष्टि करते हुए बताया कि यह प्राथमिकी लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की सुसंगत धाराओं में दर्ज की गई है।

दर्ज मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि विशेष गहन पुनरीक्षण के काम के लिए अलग-अलग सरकारी विभागों के कर्मचारियों को बीएलओ बनाया गया था। मुकदमे में आरोपी बीएलओ अपने निर्धारित क्षेत्रों में गिनती के फार्म बांटने और इकट्ठा करने जैसे जरूरी काम करने में नाकाम रहे। उनकी लापरवाही की वजह से विशेष गहन पुनरीक्षण के काम में रुकावट पैदा हुई। पांडेय ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है।

बीएलओ को हो सकती है तीन महीने से दो साल तक जेल या जुर्माना या दोनों

आरोप है कि उन्होंने मतदाता प्रपत्रों का वितरण समय पर नहीं किया। मतदाताओं से हस्ताक्षर संग्रह व रेकार्ड डिजिटलीकरण का काम अधूरा छोड़ दिया। अधिकारियों की ओर से भेजे गए वाट्सएप संदेशों और फोन काल का भी जवाब नहीं दिया। प्रशासन ने इसे गंभीर सेवा लापरवाही मानते हुए सख्त कदम उठाया है।

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तहरीर में कहा गया है कि बीएलओ की यह लापरवाही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 32 का सीधा उल्लंघन है। इस धारा के तहत तीन महीने से दो साल तक जेल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला ‘साधारण लापरवाही नहीं, बल्कि निर्वाचन प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली गंभीर चूक’ है।