मध्य प्रदेश में भी कफ सिरप से 11 मासूमों की मौत हुई। अब छिंदवाड़ा से डॉक्टर प्रवीन सोनी को गिरफ्तार किया गया है, आरोप है कि उन्होंने ही उस कफ सिरप का प्रिस्क्रिप्शन बनाया था। अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया गया और कोल्ड्रिफ कफ सिरप समेत कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के सभी प्रोडक्ट्स पर बैन लगा। अब उस एक्शन के बाद डॉक्टर सोनी को अरेस्ट किया गया है।

दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर परासिया का एक जाना-माना डॉक्टर है, वो बाल रोग विशेषज्ञ है। उसका एक प्राइवेट क्लीनिक भी चलता है, वहीं पर आने वाले बच्चों को इसने कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने की सलाह दी थी। लेकिन जब 11 मासूमों की उस सिरप के बाद मौत हो गई तो गाज डॉक्टर सोनी पर गिरी।

SP अजय पांडे ने बताया कि BMO की रिपोर्ट के आधार पर 105 BNS, 276 BNS और 27 (ए) ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में सबसे ज़्यादा बच्चों का इलाज डॉ. प्रवीण सोनी ने किया था। उन्होंने कोल्ड्रिफ दवा लिखी थी… इसी आधार पर उन्हें इस मामले में आरोपी बनाया गया है। तमिलनाडु की निर्माता कंपनी श्रेषन फार्मास्युटिकल्स को भी इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया है… डॉक्टर पुलिस हिरासत में है।

वैसे एमपी से पहले राजस्थान की भजनलाल सरकार ने कफ सिरप विवाद में बड़ा कदम उठाया था। ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था और जयपुर स्थित कायसन फार्मा द्वारा बनाई गई सभी 19 दवाओं के वितरण पर भी रोक लगा दी गई थी।

केंद्र सरकार ने क्या बताया है?

वैसे स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कहा गया कि खांसी और सर्दी में पहले आराम, पर्याप्त पानी और अन्य सहायक उपाय अपनाना जरूरी है। सभी अस्पताल और क्लिनिक केवल गुणवत्ता वाली दवाएं ही दें और राज्य स्वास्थ्य विभाग इसे सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों में लागू करें। भारत सरकार ने बच्चों में कफ सिरप और सर्दी-जुकाम की दवाओं के सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग के लिए नई एडवाइजरी जारी की है।

भारत सरकार ने कहा है कि बच्चों में कफ सिरप और सर्दी-जुकाम की दवाओं के सुरक्षित और विवेकपूर्ण तरीके से होना चाहिए। मंत्रालय ने कहा है कि अधिकांश बच्चों में अचानक होने वाली खांसी स्वयं ही ठीक हो जाती है और इसके लिए दवाइयों की जरूरत नहीं होती है।

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