शिवपाल यादव अपना भाजपा प्रेम छिपा नहीं पा रहे हैं। बुधवार को अपने विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर में हुए समारोह में योगी आदित्यनाथ के प्रति अपने मोह को सार्वजनिक करने में गुरेज नहीं किया। फरमाया कि योगी सरकार छात्रों को स्मार्टफोन और टैबलेट देकर अच्छा काम कर रही है। पत्रकारों के पूछने पर भाजपा में शामिल होने की अटकलों को भी खारिज नहीं किया। मुलायम सिंह यादव के रहते शिवपाल भाजपा में जाने से बच रहे हैं। हालांकि अखिलेश यादव शुरू से ही उन पर शक करते रहे हैं कि वे भाजपा का खेल खेल रहे हैं। अपनी अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी उन्होंने इसी वजह से बनाई थी।

विधानसभा चुनाव मजबूरी में शिवपाल ने सपा टिकट पर ही लड़ा पर चाचा-भतीजे के मन फिर भी नहीं मिले। शिवपाल ने अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर कहीं भी सपा के पक्ष में चुनाव प्रचार नहीं किया। यही कहते रहे कि उनकी पार्टी को सपा ने केवल उनकी एक सीट ही दी, जबकि उन्होंने सौ टिकट मांगे थे। शिवपाल तो चुनाव से पहले अपनी पार्टी का सपा में विलय करने को भी तैयार थे पर अखिलेश ने कोई पहल नहीं की। बुधवार को शिवपाल ने जसवंतनगर में योगी की तारीफ की तो उसी दिन आगरा में अखिलेश यादव ने नाम लिए बिना चाचा को फिर औकात बताई। बोले कि जो भाजपा के साथ हैं, वे हमारे साथ नहीं हैं।

इस टिप्पणी से शिवपाल का बौखलाना स्वाभाविक था। लिहाजा गुरुवार को एक टीवी चैनल से बातचीत में कह दिया कि अगर हमारे नेता को लगता है कि मैं उनके साथ नहीं हूं तो मुझे पार्टी विधानमंडल से निकाल क्यों नहीं देते। शिवपाल ने जेल जाकर आजम खान से मिलने की योजना का खुलासा भी किया। आजम और अखिलेश के रिश्तों में चल रही तल्खी किसी से छिपी नहीं है। इससे पहले अखिलेश यादव के सहयोगी दल रालोद के जयंत चौधरी ने रामपुर जाकर आजम खान के विधायक पुत्र से मुलाकात की थी, जिसके निहितार्थ अखिलेश की तरफ से नाराजगी दूर करने की कवायद के तौर पर निकाले जा रहे हैं।

फिर वही घमासान
हिमाचल कांग्रेस का हाल पंजाब की तरह न हो जाए। गुटबाजी के कारण कांग्रेस आलाकमान अब प्रदेश में पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष के साथ कार्यकारी अध्यक्षों को नियुक्त करने का फार्मूला अपना चुकी है। यह हिमाचल में भी अपनाने जा रही है। जो फार्मूला पंजाब में नाकाम हुआ वह हिमाचल में कैसे कारगर होगा? बहरहाल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के भीतर वर्चस्व को लेकर घमासान मचा हुआ है। मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को बाकी कांग्रेस नेता स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में आलाकमान प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक करने के बाद पंजाब की तरह फार्मूला तय करने जा रहा है।

हालांकि, मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर का कार्यकाल कांग्रेस के लिए सफलताओं से भरा रहा है। राठौर के कार्यकाल में कांग्रेस पार्टी ने उप-चुनाव में चार सीट जीतकर भाजपा की नींद उड़ा दी थी। उन्होंने गुटबाजी को हावी नहीं होने दिया। आगामी चुनावों से पहले कार्यकारी अध्यक्षों की तैनाती का फार्मूला अपनाया गया तो प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में एका होने के बजाय गुटबाजी को हवा मिलेगी। यह प्रदेश के नेताओं और आलाकमान को तय करना है कि वे चाहते क्या हैं?

क्या पंजाब की तरह अध्यक्ष बदलने की बाजी खेलना चाहते हैं या चुपचाप सत्ता में आकर भाजपा को पटखनी देना चाहते हैं? प्रदेश में तीसरे विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी जिस तेजी से अपने पांव पसार रही है उसे कांग्रेस के घमासान से सबसे ज्यादा फायदा होगा। आम आदमी पार्र्टी कांग्रेस के रूठों और भाजपा के रूठों के दम पर प्रदेश में अपना जनाधार बनाने में कामयाब हो सकती है। अब यह कांग्रेस आलाकमान और प्रदेश के नेताओं को तय करना है कि वह पार्टी का हाल पंजाब की तरह करना चाहते हैं या प्रदेश में सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं।

धामी के लिए चंपावत
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं मंडल की चंपावत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। उन्हें छह महीने के अंदर विधानसभा का चुनाव लड़ना है, लेकिन इसके लिए ज्यादा इंतजार नहीं कर रहे हैं। मई महीने में उपचुनाव करवाना चाहते हैं। इसके लिए उनके खास विश्वासपात्र चंपावत के विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने उनके लिए अपनी विधायकी तक छोड़ दी है और विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा दे दिया है जिसे उन्होंने मंजूर कर लिया है।

गहतोड़ी पुष्कर सिंह धामी से बहुत प्रभावित हैं। जब दस मार्च को विधानसभा के नतीजे आए और धामी अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा से चुनाव हार गए तब सबसे पहले गहतोड़ी ने ही उनके लिए अपनी चंपावत सीट छोड़ने की पेशकश की थी। भाजपा हाईकमान और धामी ने उनकी पेशकश को स्वीकार कर लिया जिससे वे गदगद हैं। विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने सबसे पहले आरोप लगाया था कि धामी को हराने के लिए गहरी साजिश की गई थी।

माना जाता है कि उनका इशारा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा अन्य भाजपा नेताओं की ओर था। जब विधानसभा अध्यक्ष के सरकारी घर पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक तथा अन्य कैबिनेट मंत्रियों के सामने भावुक होते हुए गहतोड़ी ने मुख्यमंत्री धामी की जमकर तारीफ की तो मदन कौशिक का चेहरा उतर गया। मुख्यमंत्री धामी और मदन कौशिक की पटरी नहीं बैठती है।
(संकलन : मृणाल वल्लरी)