आम आदमी पार्टी की नजर अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश पर टिकी है। दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होंगे। अभी तक अरविंद केजरीवाल की पार्टी को जिन दो राज्यों में सत्ता हासिल हुई है, दिल्ली और पंजाब दोनों जगह ही कांगे्रस थी सत्ता में।

बेशक दिल्ली एक दौर में भाजपा का भी गढ़ रही है। पंजाब में इस पार्टी का अपना खास जनाधार कम से कम 1980 के बाद से तो नहीं रहा। केजरीवाल के बारे में कहा जाता है कि वे कांग्रेस के जनाधार में सेंध लगा रहे हैं। इस नाते भाजपाई उन्हें न तो हिमाचल में गंभीरता से ले रहे हैं और न गुजरात में। उत्तराखंड और गोवा के चुनावी नतीजों ने भी भाजपा को इठलाने का मौका दिया है। उत्तराखंड में तो आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया। हां, गोवा में जरूर उसने दो सीटें जीत ली।

केजरीवाल को ममता बनर्जी से यही तो शिकायत है कि गोवा में उनका अपना तो कुछ बना नहीं पर भाजपा की राह जरूर आसान बना दी उन्होंने। बहरहाल हिमाचल से ज्यादा फोकस आम आदमी पार्टी का गुजरात पर है। जहां 1995 से लगातार भाजपा का ही शासन ठहरा। गुजरात माडल की मार्केटिंग ने ही देश की सत्ता हासिल करने में मदद की भाजपा की। सो, केजरीवाल अब इसी माडल की खिल्ली उड़ा रहे हैं। पिछले दिनों भगवंत मान को लेकर गुजरात का दौरा किया था।

रोड-शो और रैली में भीड़ भी खूब जुटी थी। गुजरात में पिछली बार कांग्रेस ने भाजपा को लोहे के चने चबवा दिए थे। केजरीवाल के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी इसी बुधवार को गुजरात हो आए। सूबे के शिक्षा मंत्री जीतू वाघानी के विधानसभा क्षेत्र में गए। दो सरकारी स्कूलों का दौरा किया। बताया कि कैसी जर्जर हालत में मिले गुजरात माडल के सरकारी स्कूल। लगे हाथ अपनी शेखी बघारने से भी नहीं चूके।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल और शिक्षा मंत्री दोनों को दिल्ली के सरकारी स्कूलों का दौरा करने का निमंत्रण भेज दिया। पत्रकारों से फरमाया कि उन्हें बेहद निराशा हुई। ऐसे स्थान पर शिक्षक और छात्र सात घंटे कैसे बिता सकते हैं। आम आदमी पार्टी की यूएसपी है ही-सरकारी स्कूल, सरकारी अस्पताल और मुफ्त बिजली-पानी। कोविड के दौरान गुजरात के सरकारी अस्पतालों की बदइंतजामी की खबरें खूब आई थीं।

आरोपों से खफा
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी में उठापटक जारी है। पार्टी हाईकमान ने जिन नेताओं के सिर पर ठीकरा फोड़ा उनमें चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल शामिल हैं। इन तीनों को पार्टी हाईकमान ने एक झटके में हटा दिया है। हरीश रावत ने खुद चुप्पी साध कर अपने समर्थकों को मुखर कर दिया है। उनके समर्थक धारचूला के विधायक हरीश धामी ने पार्टी हाईकमान के फैसले पर बगावत कर दी है।

पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस विधायक हरीश धामी के बीच संपर्क बना हुआ है। इस बीच मुख्यमंत्री धामी हरीश रावत के घर मिल कर भी आ गए हैं। अब तक नेता प्रतिपक्ष रहे प्रीतम सिंह उन्हें हटाकर यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाने से हाईकमान से खासे नाराज हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री वेणुगोपालन और उत्तराखंड के प्रभारी देवेंद्र यादव पर खुलकर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने हाईकमान को अंधेरे में रखा और गलत रिपोर्ट दी। साथ ही कहा कि उन पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराने के लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।

प्रीतम सिंह के विजय बहुगुणा से अच्छे संबंध हैं। बहुगुणा के माध्यम से वे कांग्रेस छोड़ भाजपा में जा सकते हैं। कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष करण माहरा, यशपाल आर्य तथा उप नेता प्रतिपक्ष भुवन चंद्र कापड़ी को बनाया है। ये तीनों कुमाऊं के हैं और गढ़वाल के नेताओं को कोई तवज्जो नहीं दी है जिससे गढ़वाल के कांग्रेसियों में गुस्सा है।

चिट्ठी की चिकचिक
हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों मुख्य सचिव राम सुभग सिंह को लेकर पीएमओ से आई चिट्ठी ने विवाद पैदा कर दिया है। किसी ने पीएमओ को चिट्ठी भेजी कि राम सुभग सिंह ने अतिरिक्त मुख्य सचिव वन रहते हुए नगरोटा बगवां में बनी चार मंजिला भवन के निर्माण में धांधली की। यह चिट्ठी पिछले साल पीएमओ से हिमाचल सरकार को आई थी लेकिन सामने अब आई है।

नौकरशाही के मुखिया के खिलाफ आई इस चिट्ठी पर मुख्यमंत्री जयराम पूरी तरह से मौन रहे थे। अब बवाल मचा तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अतिरिक्त मुख्य सचिव वन निशा सिंह से उनका विभाग छीन लिया। इस मसले में उनका अभी तक कोई लेना-देना सामने नहीं आया है। लेकिन वह मुख्य सचिव राम सुभग सिंह की पत्नी है। जयराम सरकार ने पिछले हफ्ते ही नौकरशाहों के तबादले किए थे। इस मसले पर मुख्य सचिव की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

आम आदमी पार्टी ने इस मसले पर राम सुभग सिंह को हटाने और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का इस्तीफा तक मांग लिया है जबकि शिकायतकर्ता भी कार्रवाई की मांग कर रहा है। राम सुभग सिंह मुख्य सचिव तब बने थे जब जयराम ठाकुर ने पूर्व मुख्य सचिव अनिल खाची को अचानक विधानसभा सत्र के दौरान ही हटा दिया था। खाची खांटी नौकरशाह थे व ईमानदार माने जाते थे। उस वक्त कहा गया था कि उन्हें इसीलिए हटाया गया था क्योंकि वह गलत काम को हाथ नहीं लगाते थे। (संकलन : मृणाल वल्लरी)