भाजपा का घमासान
भाजपा के भीतर विभिन्न राज्यों में अंतर कलह सतह पर आने लगी है। उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ की अंदरूनी खींचतान पर फिलहाल संघ के नेतृत्व के हस्तक्षेप से विराम लगा है। पर राजस्थान में पार्टी की अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को निपटाने की पार्टी आलाकमान अरसे से कोशिश कर रहा है पर वसुंधरा ने अपनी जड़ मजबूती से जमा रखी है। अशोक गहलोत को भी अगर कमलनाथ की तरह भाजपा मुख्यमंत्री पद से नहीं हटा पाई तो वजह वसुंधरा को ही माना जा रहा है। वे किसी और को मुख्यमंत्री आसानी से नहीं बनने देंगी। आलाकमान उन्हें विश्वास में ले और गहलोत सरकार गिरने की सूरत में मुख्यमंत्री बनाने का भरोसा दे तो गहलोत सरकार एक दिन भी नहीं बच पाएगी।
बहरहाल उनके समर्थकों ने वसुंधरा राजे समर्थक मंच बनाया तो पार्टी के उनके विरोधी सतीश पूनिया खेमे ने उन पर समानांतर संगठन चलाने का आरोप लगा दिया। यह बात अलग है कि वसुंधरा किसी की परवाह नहीं करती। उधर उनके समर्थक पूर्व मंत्री रोहिताश्व कुमार शर्मा को कारण बताओ नोटिस भेजकर पार्टी ने वसुंधरा को और चिढ़ाया है। शर्मा ने कहा था कि जिस तरह केंद्र में कांग्रेस प्रभावी विपक्ष की भूमिका अदा करने में नाकाम रही है उसी तरह राजस्थान में भाजपा भी विपक्ष की सही भूमिका नहीं निभा पाई। शर्मा ने यह भी कह दिया कि राजस्थान भाजपा में वसुंधरा के कद का दूसरा कोई नेता नहीं। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से पार्टी ने सबक नहीं लिया। पश्चिम बंगाल में सूबे में पार्टी का कोई असरदार नेता रहा होता तो इस तरह की हार का मुंह न देखना पड़ता। उन्होंने मांग कर डाली की 2023 में सूबे का विधानसभा चुनाव जीतना है तो मुख्यमंत्री पद का अभी से उम्मीदवार वसुंधरा राजे को घोषित करना चाहिए। केंद्रीय मंत्रियों अर्जुन राम मेघवाल और गजेंद्र सिंह शेखावत की भी शर्मा ने यह कहते हुए आलोचना की कि ग्रामीण इलाकों में कोविड संक्रमण बढ़ने पर भी इन दोनों ने लोगों की कोई सुध नहीं ली। पार्टी के कारण बताओ नोटिस को भी कतई गंभीरता से नहीं ले रहे वसुंधरा के खासमखास शर्मा।
फेसबुकिया जंग
पंजाब कांग्रेस में पार्टी के अंदर ही एक-दूसरे के जीजा-साला पर खोद-खोद कर बातें निकाली जा रही हैं बिना इस बात की फिक्र किए कि चुनाव सिर पर है और इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। चंद रोज पहले शिरोमणि अकाली दल के नेता सरूप सिंह सिंगला ने बठिंडा के गुरुनानक देव थर्मल प्लांट के अंदर अवैध खनन में लगे ट्रकों की वीडियो बना फेसबुक पर लाइव कर दी। साथ ही लिखा-बठिंडा के कांग्रेस विधायक एवं वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और उनका साला कांग्रेस नेता जयजीत सिंह जौहल अवैध खनन में संलिप्त हैं। वीडियो में ट्रकों की कतार दिखाते हुए लिखा था-जीजा-साला ने इस इलाके को अवैध खनन का रास्ता बना दिया है। अपने फेसबुक पेज पर सिंगला ने लिखा-घोटाले का पर्दाफाश…सरकारी कोष की लूट-थर्मल प्लाट बठिंडा। माफिया टीम ने मुझ पर भी हमले की कोशिश की…पर हम उन गुंडों से नहीं डरते।’ दिलचस्प यह है कि इसके कुछ ही घंटे बाद गिदड़बाहा से कांग्रेस विधायक राजा अमरिंदर सिंह वड़िंग ने अपने फेसबुक पेज पर इसी वीडियो को शेयर करते हुए बाकायदा अपनी ही पार्टी के विधायक-मंत्री के खिलाफ टिप्पणी कर दी -‘दुध दा दुध, अते पानी दा पानी होना चाहिदा है…कैप्टन अमरिंदर सिंह जी जिन्ना लोकां ऊपर एह इल्जाम हण, उन्हां दी जांच होनी चाहीदी है अते दोषियां ऊपर बनदी कार्रवाई होनी चाहिदी है।’ वडिंग ने अपने ट्वीटर पर इस वीडियो को पिन्नड ट्वीट किया। कांग्रेस के ही एक अन्य विधायक रवनीत सिंह बिट्टू ने इसे रीट्वीट किया। इस वीडियो को पोस्ट करने से पहले वड़िंग ने लिखा-कैप्टन अमरिंदर जी, कृप्या इस मामले में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें।
कठिन डगर कांग्रेस की
हिमाचल कांग्रेस में इन दिनों कोई बड़े नेता नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह बीमार हैं। ऐसे में पार्टी के सह प्रभारी संजय दत इन दिनों बिखरी कांग्रेस को समेटने में जुटे हैं। नगर निगम चुनावों को छोड़कर 2014 से लेकर अब तक हार का सिलसिला जारी है। वे नेताओं की नब्ज जरूर टटोल चुके हंै। चाहे वह कौल सिंह हो या जीएस बाली। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री और पार्टी अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर तो उनसे कई बार मिल चुके हैं। मुकेश व राठौर को छोड़ कर बाकी कई बड़े नेताओं का एक ही सपना है कि किसी तरह से उनके पुत्र व पुत्रियों का राजनीतिक भविष्य संवर जाए। सह प्रभारी संजय दत अब इसी उधेड़बुन में हैं कि वह इन नेताओं के पुत्र व पुत्रियों का ख्याल रखें या उप चुनाव व 2022 के चुनावों में कांग्रेस की जीत तय कराएं। उनके लिए डगर कठिन है, लेकिन वे कोशिश पूरी कर रहे हैं। वह पिछले दिनों मंडी भी गए। वहां पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम व उनके पोते आश्रय शर्मा कांग्रेस का झंडा उठाए हुए हैं। सुखराम के बेटे भाजपा में होकर भी अंदरखाते काम कांग्रेस के लिए कर रहे हैं। यहां दत को पिता-पुत्र और पोते तक का भविष्य संवारना होगा।
(संकलन : मृणाल वल्लरी)