केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को बिहार के सीमांचल क्षेत्र के दो दिन के दौरे पर पहुंचे तो लालू और नीतीश की जोड़ी पर जमकर हमला बोला। नीतीश जब भाजपा के साथ थे तब तो भाजपा भी उन्हें विकास पुरुष और सुशासन बाबू संबोधित किए जाने पर इठलाती थी। अब अमित शाह ने आरोप जड़ दिया कि नीतीश के राज में बिहार का विकास नहीं हो पाया। ज्यादातर समय तो नीतीश के साथ सूबे की सत्ता में भागीदारी भाजपा की ही रही, यह अलग बात है।

अमित शाह ने नीतीश को धोखेबाज बताने में भी संकोच नहीं किया। फरमाया कि नीतीश अपनी कुटिल राजनीति से कभी देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। अमित शाह ने अपने बिहार दौरे के लिए सीमांचल को ही क्यों चुना, किसी से छिपा नहीं। पलटवार नीतीश और उनके उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने किया।

नीतीश ने कहा कि अमित शाह सूबे में धार्मिक उन्माद फैलाने की मंशा से आए हैं। यही बात तेजस्वी ने भी दोहराई। कहा कि उनका गुप्त एजंडा है कि हिंदुओं और मुसलमानों को आपस में लड़ाओ। सीमांचल के पूर्णिया और किशनगंज जैसे जिलों में मुसलमानों की आबादी ज्यादा है।

इसी कारण 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी ने भी सीमांचल में ही अपनी पार्टी के ज्यादा उम्मीदवार उतार कर राजद का खेल बिगाड़ा था। उनकी बिहार में मौजूदगी का परोक्ष रूप से लाभ भाजपा को हुआ था। तेजस्वी ने सवाल भी कर दिया कि क्या वे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देंगे। लगे हाथ 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त किए गए भाजपा के वादे की याद दिला दी।

फरमाया कि बिहार को विशेष दर्जा ही नहीं विशेष पैकेज और विशेष ध्यान देने का भी वादा किया था। आठ साल हो गए। कहां गया वह वादा। कब मिलेगा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा। रविवार को लालू और नीतीश दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे।

नीतीश तो हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला की तरफ से देवी लाल की जयंती पर फतेहाबाद में होने वाली रैली में भी करेंगे शिरकत। भाजपा की नींद उड़ाने में कोई कसर वे छोड़ना नहीं चाहते।

दरबार में तलबगार
हिमाचल प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा आलाकमान की ओर से करवाए जा रहे सर्वे में जो मंत्री और विधायक हारते नजर आ रहे हैं, वे दिल्ली दरबार में माथा टेकने पहुंच रहे हैं। इन सर्वेक्षणों में कांगड़ा से जय राम सरकार के दो मंत्री पिछड़ते हुए नजर आए। इसकी भनक लगते ही पहले एक मंत्री भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दरबार में हाजिरी भर आए।

इतना ही नहीं तीन-चार दिन पहले दूसरे मंत्री भी नड्डा के दरबार में नतमस्तक होने पहुंच गए। हालांकि कुछ मंत्रियों और विधायकों की उम्मीदों पर कांग्रेस से आए और अब आ रहे नेता भी गाज गिराते नजर आ रहे हैं। नालागढ़ में एक जनसभा हुई थी, जिसमें वहां के भाजपा नेता केएल ठाकुर का टिकट पक्का समझा जा रहा था।

इस जनसभा में यहां तक संकेत दे दिया गया था कि टिकट केएल ठाकुर को ही मिलेगा। लेकिन नालागढ़ की राजनीति की बिसात नए सिरे से बिछी और कांग्रेस के मौजूदा विधायक लखविंदर सिंह राणा भाजप में शामिल हो गए। अब बदले हालात में केएल ठाकुर भी नड्डा दरबार में हाजरी भर रहे हैं। आलाकमान में नड्डा ही इन मंत्रियों और विधायकों के तारणहार बनते नजर आ रहे हैं।

केंद्रीय सत्ता तक या तो नड्डा की पहुंच है या फिर राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी की। इंदु गोस्वामी टिकट के तलबगारों की सिफारिशें प्रधानमंत्री तक कम ही करती हैं। इसके बाद भी अगर वो सिफारिश कर दें तो टिकट पक्का ही समझा जाता है। जबकि नड्डा की सिफारिश पर टिकट तो शायद ही मिले लेकिन मोदी व शाह के दरबार में वह फरियाद जरूर ही पहुंचा देते हैं।

गढ़ में टक्कर
अरविंद केजरीवाल अब भाजपा को गुजरात में ही घेरने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हर हफ्ते गुजरात का दौरा करते हैं। पिछले कई महीने से यह सिलसिला चल रहा है। गुजरात ठहरा भाजपा का गढ़। देश का यही अकेला सूबा है जहां भाजपा 1998 से लगातार सत्ता में है।

प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों इसी सूबे से नाता रखते हैं। शुरू में लगता था कि गुजरात के लोग आम आदमी पार्टी को गंभीरता से नहीं लेंगे। पंख फैलाने की कोशिश तो केजरीवाल ने उत्तराखंड और गोवा में भी की थी। पर दोनों जगह ही मुंह की खानी पड़ी। दरअसल इन दोनों राज्यों में कांगे्रस उतनी कमजोर नहीं निकली, जितनी केजरीवाल की सोच में थी।

कमजोर तो कांग्रेस गुजरात में भी नहीं थी। पर एक-एक कर उसके ज्यादातर नेताओं को भाजपा ने तोड़ लिया। केजरीवाल ने सूबे की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रहे हैं। पंजाब जैसे कांग्रेस और अकाली दल के गढ़ में आम आदमी पार्टी सबका सूपड़ा साफ कर देगी, किसी को अंदाज नहीं था।

यहां तक कि दिल्ली में भी लोकसभा चुनाव में तो केजरीवाल कोई रंग नहीं जमा पाए हैं। पर, विधानसभा चुनाव की बात अलग ठहरी। चुनाव का नतीजा चाहे जो हो पर केजरीवाल से घबराहट तो भाजपा और कांग्रेस दोनों खेमों में दिख रही है।
(संकलन : मृणाल वल्लरी)