जयंतीलाल भंडारी
देश के अस्सी फीसद किसानों के पास जीविकोपार्जन के लिए पर्याप्त खेत नहीं हैं, अतएव उनकी गैर कृषि आय बढ़ाने के विकल्प बढ़ाने होंगे। ग्रामीण इलाकों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को विशेष प्रोत्साहन देने होंगे।
इस समय देश के करोड़ों छोटे किसानों को राहत देने के लिए चार रणनीतिक जरूरतें दिखाई दे रही हैं। पहली तो तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद नए कृषि सुधारों की जरूरत है। दूसरी, कृषि क्षेत्र में उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाना जाए। तीन, ग्रामीण विकास की स्वामित्व योजना तेजी से लागू करना और चौथी जरूरत मनरेगा के लिए अधिक धन का आवंटन किया जाना। गौरतलब है कि किसानों का आंदोलन समाप्त हो गया है। कृषि कानूनों को रद्द करने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों पर सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच सहमति बनने के बाद किसान आंदोलन खत्म करने और घर लौटने पर सहमत हो गए थे। इसलिए अब ऐसे नए कृषि सुधार लागू किए जाने होंगे, जिनसे सभी किसानों तक उनका लाभ पहुंचे। खासतौर से छोटे किसानों को विशेष लाभ हो, जिनकी स्थिति खेतिहर मजदूर जैसी है।
कृषि की विकास दर और छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि सुधारों की जरूरत बनी हुई है। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री ने कृषि को लाभदायक बनाने और कृषि संबंधी मसलों के समाधान के लिए विशेष कमेटी बनाने की घोषणा की है। चूंकि खेती की लागत लगातार बढ़ रही है, इसलिए कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाना जरूरी है। दुनिया के कई देशों में कृषि उपज की बाजार कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए किसानों को सरकारी सहायता (सबसिडी) दी जाती है। भारत में वर्तमान में एमएसपी व्यवस्था तेईस फसलों पर लागू है। हरित क्रांति के दौरान गेहूं की खेती को बढ़ावा देने के मकसद से एमएसपी की व्यवस्था की गई थी।
बाद में इसके तहत चावल व अन्य फसलों को लाया गया। अभी भी गेहंू और चावल की फसलों के अलावा अन्य फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा महज एक सांकेतिक घोषणा ही रह जाती है। देश के कई राज्यों में बड़ी संख्या में किसान इसका लाभ नहीं ले पाते हैं। ऐसे में इस समय जब संयुक्त किसान मोर्चा कृषि उपजों के एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहता है, तब एमएसपी की कानूनी गारंटी के मामले का उपयुक्त आकलन जरूरी है। यह समझना जरूरी है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी के पीछे कई चुनौतियां और खतरे हैं। इस समय देश में कई कृषि उपजों के एमएसपी वैश्विक जिंस बाजार की कीमतों के लगभग बराबर आ चुके हैं। ऐसे में एमएसपी की गारंटी से महंगाई बढ़ने के साथ-साथ कृषि उपजों की गुणवत्ता व उत्पादकता में कमी आने का संकट सामने है। एमएसपी की कानूनी गारंटी के बाद सरकार सभी कृषि उपज खरीदने को बाध्य होगी।
निश्चित रूप से छोटे किसानों को हरसंभव तरीके से प्रोत्साहन और कृषि विकास के विशेष कार्यक्रमों से भी कृषि क्षेत्र में जीडीपी बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2021) के बीच देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.4 फीसद रही है। कृषि में विकास दर साढ़े चार फीसद रही, जो कोविड पूर्व स्तर की तुलना में सबसे ज्यादा है। ऐसे में कृषि विकास दर को ऊंचाई देने और छोटे किसानों की आय बढ़ाने के लिए देश में वर्तमान में चलाए जा रहे कृषि विकास कार्यक्रमों को और कारगर बनाने की जरूरत है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को ग्रामीण आय बढ़ाने के उपाय भी करने पड़ेंगे। अभी भी किसानों और ग्रामीण गरीबों की आय बढ़ाना बड़ी चुनौती बनी हुई है। नीति आयोग की हाल की एक रिपोर्ट में यह कहा भी गया है कि ग्रामीण भारत में गरीबी को कम करने के लिए अधिक कारगर प्रयासों की जरूरत है। वर्ष 2015-16 के दौरान ग्रामीण इलाकों में 32.75 फीसद आबादी और शहरी इलाकों में 8.81 फीसद आबादी बहुआयामी गरीबी में पाई गई है।
चूंकि देश के अस्सी फीसद किसानों के पास जीविकोपार्जन के लिए पर्याप्त खेत नहीं हैं, अतएव उनकी गैर कृषि आय बढ़ाने के विकल्प बढ़ाने होंगे। ग्रामीण इलाकों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को विशेष प्रोत्साहन देने होंगे। खेती के आधुनिक तरीकों को अपनाने, कृषि अनुसंधान एवं नवाचार, कृषि शिक्षा में बदलाव और सुधार, बागवानी, वानिकी और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। गेहंू व चावल के अलावा फसलों का विविधीकरण भी किसानों के लिए लाभप्रद हो सकता है। कृषि क्षेत्र की पारिस्थितिकी के अनुकूल पौष्टिक अनाज, दालें और तिलहन की खेती को प्रोत्साहनों के साथ बढ़ाना होगा। इससे किसानों के लिए बड़ा और स्थिर बाजार तैयार होगा। किसान उत्पादन संघों को अधिकतम प्रोत्साहन देकर बेहतर भंडारण और विपणन सुविधाएं विकसित की जानी होगी। इससे सौदे करने की शक्ति बढ़ेगी और बिचौलियों का दबाव भी कम होगा।
फसल बीमा योजना में सुधार, एमएसपी को डेढ़ गुना करने, किसान क्रेडिट कार्ड से सस्ते दर से बैंक से कर्ज मिलने की व्यवस्था, कृषि निर्यात तेजी से बढ़ने, एक लाख करोड़ रुपए का कृषि ढांचागत कोष बनाने, कृषि बजट के पांच गुना किए जाने, सौर पावर से जुड़ी योजनाएं खेत तक पहुंचाने, दस हजार नए किसान उत्पादन संगठन, किसान रेल के माध्यम से छोटे किसानों के कृषि उत्पाद देश के दूरदराज के इलाकों तक पहुंचने और किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलने से किसान लाभान्वित हुए हैं। इन विभिन्न अनुकूलताओं के कारण देश में वर्ष 2020-21 में खाद्यान्न उत्पादन रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंचा है। इसी तरह वर्ष 2020-21 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्पादन और दालों का उत्पादन भी रिकार्ड स्तर पर पहुंचा है। लेकिन अब इनके उत्पादन के और ऊंचे लक्ष्यों के लिए किसानों को अधिक प्रोत्साहन दिए जाने होंगे।
नई कृषि विकास कमेटी को कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की दिशा में काम करना है। किसानों को मांगों के मद्देनजर पीएम आशा और भावांतर भुगतान जैसी योजना भी शुरू किए जाने की संभावनाएं हैं। ऊंचे दाम वाली विविध फसलों के उत्पादन को विशेष प्रोत्साहन और छोटे किसानों के जनधन खातों में अधिक नकदी हस्तांतरण से भी किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लागू की जा रही स्वामित्व योजना का दायरा बढ़ा कर ग्रामीणों को उनकी रहवासी जमीन का कानूनी हक देकर आर्थिक सशक्तिकरण का अभियान तेज किया जा सकता है। इससे गांवों में गरीबी व बेरोजगारी कम होने में काफी मदद मिल सकती है। देशभर के गांवों में स्वामित्व योजना किसानों के लिए खेती की विभिन्न ऋण जरूरतों को सरलता से पूरा करने और किसानों की गैर कृषि आय बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि इस वर्ष (2021) ग्रामीण भारत में लोगों को रोजगार देकर उनकी आमदनी बढ़ाने में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की प्रभावी भूमिका रही है। जहां मनरेगा ने गांवों में परंपरागत रूप से काम कर रहे लोगों को अधिक रोजगार दिया, वहीं कोरोना की दूसरी लहर के कारण शहरों से गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को भी बड़ी संख्या में रोजगार दिया है। ज्ञातव्य है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में मनरेगा के लिए तिहत्तर हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। लेकिन इस वित्त वर्ष में मार्च 2022 तक मनरेगा में काम की मांग तेज होने का कारण ग्रामीण रोजगार की वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए मनरेगा के तहत कम से कम बत्तीस हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त समर्थन की जरूरत दिखाई दे रही है।