-    भारत में भ्रष्टाचार और राजनीति अक्सर चर्चा का विषय रहते हैं, लेकिन असली समस्या कहीं और है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (Environmental Performance Index (EPI)) स्कोर केवल 18.9 है, और यह 180 देशों की लिस्ट में सबसे आखिरी स्थान पर है। इसका मतलब साफ-सुथरे और स्वच्छ सार्वजनिक स्थानों में भारत की स्थिति बेहद कमजोर है। (Photo Source: Pexels) 
-    भारत में स्वच्छता की स्थिति 
 हमारे पार्क, रेलवे स्टेशन, सड़कें और यहां तक कि नदियां भी कचरे, गंदगी और तंबाकू के धब्बों से भरी हुई हैं। इसका कारण सिर्फ संसाधनों की कमी नहीं है, बल्कि नागरिक जिम्मेदारी यानी सिविक सेंस (Civic Sense) की कमी है। (Photo Source: Unsplash)
-    सिविक सेंस क्या है? 
 सिविक सेंस का मतलब है समाज के प्रति सामान्य समझ, सम्मान और जिम्मेदारी। कचरा फेंकने के लिए डस्टबिन का इस्तेमाल करना। अपने आसपास की जगह को साफ-सुथरा रखना और नियमों का पालन करना। दूसरों के अधिकारों और सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान करना। (Photo Source: Pexels)
-    भारत में सिविक सेंस की कमी क्यों? 
 हम उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं, लेकिन अनुशासन की शिक्षा नहीं। हम नियमों को केवल “ऑप्शनल” मानते हैं। हम भूल जाते हैं कि सार्वजनिक स्थान हम सभी का है। असल समस्या है हमारे मानसिक दृष्टिकोण में। (Photo Source: Pexels)
-    मानसिकता में बदलाव जरूरी 
 हम कहते हैं: “सब ऐसा ही करते हैं।” यही सोच हमारी जिम्मेदारी और जवाबदेही को खत्म कर देती है। बदलाव नियमों से नहीं, बल्कि तब आता है जब हम महसूस करें कि हम खुद नियम बनाने वाले हैं। (Photo Source: Pexels)
-    खराब सिविक सेंस = टूटी हुई सिस्टम 
 एक छोटा सा लापरवाह कदम कई समस्याओं की श्रृंखला को जन्म देता है। साफ-सुथरे आदतें ही साफ शहर बनाती हैं। (Photo Source: Unsplash)
-    आप कैसे मदद कर सकते हैं? 
 कचरा सड़क पर न फेंकें। ट्रैफिक नियमों का पालन करें। कतार में अपनी बारी का सम्मान करें। सम्मानपूर्वक अपनी आवाज उठाएं। बच्चों को उदाहरण के द्वारा सिखाएं। (Photo Source: Pexels)
-    भारत को ज्यादा नियमों की जरूरत नहीं, बल्कि जिम्मेदार लोगों की जरूरत है। हम अक्सर सरकार, सिस्टम और नेताओं को दोष देते हैं। (Photo Source: Pexels) 
-    लेकिन कभी-कभी समस्या इतनी छोटी होती है, जितना कि सड़क पर फेंका गया एक रैपर। सिविक सेंस रॉकेट साइंस नहीं है – यह हम सबके साझा स्थान के प्रति सम्मान है। (Photo Source: Pexels) 
 (यह भी पढ़ें: गलतफहमी करें दूर, जानिए कौन हैं ’33 कोटि देवी-देवता’)
 
    
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
   
  