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आज के दौर में, जब हर किसी के हाथ में मोबाइल फोन और घड़ी मौजूद है, क्लॉक टावर का महत्व कम होता जा रहा है। इसके बावजूद, देश के कई शहरों में नए क्लॉक टावर बनाए जा रहे हैं। हाल ही में बिहार के बिहारशरीफ में एक क्लॉक टावर 40 लाख रुपये की लागत से बनाया गया, जो शुरू होते ही विवादों में आ गया। (Photo Source: Facebook)
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दरअसल, इस क्लॉक टावर ने उद्घाटन के एक दिन बाद ही काम करना बंद कर दिया था। ऐसे में सवाल उठता है — जब अब इनकी जरूरत नहीं रही, तो इन्हें बनाया क्यों जा रहा है? (Photo Source: Facebook)
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इतिहास में झांकें तो…
भारत में क्लॉक टावर की शुरुआत ब्रिटिश राज के दौरान 18वीं से 20वीं शताब्दी के बीच हुई। उस समय घड़ी पहनना आम नहीं था, और लोगों के पास समय जानने के सीमित साधन थे। ऐसे में क्लॉक टावर एक सार्वजनिक घड़ी के रूप में सामने आया। लेकिन केवल समय बताना ही इसका एकमात्र उद्देश्य नहीं था। (Photo Source: Pexels) -
ब्रिटिश सोच और क्लॉक टावर
ब्रिटिश शासन में क्लॉक टावर को आधुनिकता, अनुशासन और नियंत्रण का प्रतीक माना जाता था। यह दर्शाता था कि शहर प्रशासनिक रूप से संगठित है और यहां समय की कीमत समझी जाती है। क्लॉक टावर यह संदेश देता था कि ‘यह शहर ब्रिटिश राज के नियमों के अनुसार चल रहा है’। (Photo Source: Pexels) -
समय का सिंबल, शहर की शान
क्लॉक टावर एक शहर की पहचान बन गया। जैसे जोधपुर का घंटाघर, लखनऊ का हुसैनाबाद क्लॉक टावर, या कानपुर का क्लॉक टावर — ये सभी अपने-अपने शहर की ऐतिहासिक धरोहर हैं। ये न सिर्फ समय दिखाते थे, बल्कि एक आर्किटेक्चरल लैंडमार्क के रूप में शहर की सुंदरता और विकास का प्रतीक भी बन गए। (Photo Source: Pexels) -
वक्त बदला, पर महत्व बरकरार
आज टेक्नोलॉजी के युग में भले ही क्लॉक टावर की व्यावहारिक जरूरत कम हो गई हो, लेकिन इसका सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व अब भी कायम है। इन्हें देखकर पुराने दौर की यादें ताजा होती हैं। नए क्लॉक टावर आज शहरों में एक आइकोनिक स्ट्रक्चर के रूप में बनाए जाते हैं, जो पर्यटन, विरासत और पहचान का हिस्सा बनते जा रहे हैं। (Photo Source: Pexels) -
क्या आज की पीढ़ी समझती है इसका महत्व?
शायद आज की युवा पीढ़ी के लिए क्लॉक टावर सिर्फ एक पुरानी इमारत भर है, लेकिन अगर इसे सही ढंग से प्रस्तुत किया जाए — जैसे उसमें ऐतिहासिक जानकारी, डिजाइन की विशेषता, और स्थानीय विरासत को जोड़ा जाए — तो यह एक जीवंत संग्रहालय बन सकता है। (Photo Source: Pexels)
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