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आज विजय दिवस की 54वीं वर्षगांठ है। इसी दिन 1971 में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेके थे और बांग्लादेश का जन्म हुआ था। विजय दिवस भारत के शौर्य, समर्पण और सैन्य कौशल का प्रतीक है। (Photo Source: Indian Express)
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16 दिसंबर, 1971 के ही दिन पाकिस्तान की सेनाओं ने भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी (बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों) के सामने आत्मसमर्पण किया। यह सिर्फ एक एक भू-राजनीतिक जीत नहीं बल्कि मानवीय मूल्यों, स्वतंत्रता और न्याय की जीत थी। आइए डालते तस्वीरें के जरिए एक नजर: (Photo Source: Indian Express)
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जब बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना ने क्रूरता मचाया तो लाखों की संख्या में बांग्लादेशी अपनी जान बचाकर भारत आ गए। यह उस दौरान की तस्वीरें हैं। (Photo Source: Indian Express)
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पाकिस्तानी सेना में सैन्य कमांडर जनरल टिक्का खान ने ऑपरेशन सर्चलाइट का आदेश दिया था। इसके तहत पाकिस्तानी सेना तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के बंगालियों के खिलाफ हर तर की क्रूरताओं को अंजाम देना था। (Photo Source: Indian Express)
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इस अभियान में लाखों बंगाली महिलाओं को हिरासत में लिया गाय उनके साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। पाकिस्तानी सेना ने लाखों बंगाली महिलाओं का रेप के बाद उनकी हत्या कर दी। पुरुषों को एक कतार में खड़ा कर उन्हें गोलियों से मारा गया। बच्चों तक को पाकिस्तानी सेना ने नहीं छोड़ा। (Photo Source: Indian Express)
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लाखों बांग्लादेशी शरणार्थियों ने भारत में शरण लिया। 1971 के जंग में सिर्फ एक हफ्ते में करीब 10 लाख से अधिक बांग्लादेशियों ने भारत में शरण ली थी। (Photo Source: Indian Express)
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असम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा बांग्लादेशी शरणार्थियों से भर गए थे। (Photo Source: Indian Express)
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इस पूरे युद्ध के दौरान भारत आने वाले शरणार्थियों की संख्या एक करोड़ पार हो गई थी। (Photo Source: Indian Express)
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यह उस दौरान की तस्वीर है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेशी शरणार्थियों के बरैबाड़ी कैंप का दौरा किया था। (Photo Source: Indian Express)
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पाकिस्तानी सैन्य कमांडर जनरल टिक्का खान को ऑपरेशन सर्चलाइट के दौरान क्रूरता को अंजाम देने के लिए ‘बंगाल का कसाई’ कहा जाता है। (Photo Source: Indian Express)
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पाकिस्तान एक ओर बांग्लादेश में क्रूरता मचा रहा था तो वहीं, इससे पहले 3 दिसंबर को पाकिस्तानी वायुसेना ने भारत के पश्चिमी एयरबेस पर प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक कर दिया। भारत ने इसे युद्ध की घोषणा माना और पूर्व जवाब दिया। 1971 की जंग दो मोर्चों पूर्वी और पश्चिमी पर लड़ी गई। (Photo Source: Indian Express)
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पूर्वी मोर्चे पर भारतीय सेना मुक्ति वाहिनी के साथ मिलकर तेजी से आगे बढ़ी। भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में ब्लॉकेड लगा दी जिससे पाकिस्तान की समुद्र के रास्ते होने वाली सप्लाई पूरी तरह से कट गई। उधर भारतीय वायुसेना ने पूर्वी पाकिस्तान में नाकों चने चबवा दिया। पश्चिमी मोर्चे पर भारत ने डिफेंसिव रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया था। हालांकि, बाद में इसे वापस कर दिया गया। (Photo Source: Indian Express)
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13 दिनों में 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना के आगे पाकिस्तानी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने ढाका के रमना रेस कोर्स पर ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर’ पर साइन किया। करीब 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियार डाले थे। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सरेंडर था। (Photo Source: Indian Express) भारत ने 1971 की जंग में पाकिस्तान को कितनी जमीन वापस लौटाई थी, अब भी कितनी है उसके पास