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Mulayam Singh Yadav: यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पिछले कुछ चुनावों के नतीजे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार टक्कर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath), अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और मायावती (Mayawati) के बीच ही होगी। हालांकि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के खिलाफ ताल ठोक रही बीजेपी कभी मायावती को रोकने के लिए मुलायम की सरकार बनवाई थी। आइए जानते हैं पूरा किस्सा:
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पूरा मामला साल 2002 का है। तब बीजेपी और बीएसपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। मायावती सीएम थीं। यह सरकार चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा का परिणाम थी। इसमें समाजवादी पार्टी को 143, बीएसपी को 98, बीजेपी को 88, कांग्रेस को 25 और अजीत सिंह की रालोद को 14 सीटें आई थीं।
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2003 में मायावती ने बीजेपी के कुछ फैसलों से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया। सरकार गिर गई।
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बीजेपी बीजेपी की गठबंधन सरकार गिरने के साथ ही मुलायम सिंह की सपा एक्टिव हो गई। वो राज्यपाल के पास पहुंचे। मुलायम के पास बसपा के 13 विधायकों का सपोर्ट था। लेकिन मायावती ने बीजेपी के बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से सिफारिश कर दी।
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बीजेपी के कई सदस्य नहीं चाहते थे कि सालभर के अंदर वह दोबारा चुनाव में जाएं। पार्टी पर दबाव बना। वहीं पार्टी मायावती से भी काफी दुखी हो चुकी थी। ऐसे में ये तय हुआ कि मुलायम सिंह की सरकार बनाई जाए।
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी ने बसपा की याचिका को किनारे किया और मुलायम को सीएम बनने की हरी झंडी दिखा दी। सरकार बनी तो बसपा के कुछ और विधायक टूटकर सपा में चले आए।
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2003 में इस तरह से बीजेपी की मदद से मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी। क्योंकि अगर बीजेपी के विधानसभा अध्यक्ष मायावती की सिफारिश मानकर सदन भंग कर देते या फिर बसपा के बागी विधायकों को तत्काल अयोग्य करार दे देते तो फिर मुलायम किसी भी सूरत में सीएम ना बनते।
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यहां गौर करने वाली बात ये बी है कि तब मुलायम सिंह की सरकार को उनके दूसरे धुर विरोधियों ने भी सपोर्ट किया था। जिसमें अजीत सिंह के साथ ही वो कल्याण सिंह भी थे जो मुलायम सिंह को रामसेवकों की हत्या करने वाला रावण कहते थे। साथ ही जिन सोनिया गांधी को मुलायम सिंह ने 1999 में प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया था, उनकी कांग्रेस पार्टी ने भी उस सरकार को समर्थन दिया था।
