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हार साल जम्मू कश्मीर घूमने के लिए देश और दुनिया से लाखों पर्यटक आते हैं। यहां कि हसीन वादियां और खूबसूरती हर किसी के मन को मोह लेती है। यही वजह है कि जम्मू कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। (Photo: Machail mata/Facebook)
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जम्मू कश्मीर का चमत्कारिक मंदिर
जम्मू कश्मीर में ही मचैल माता का चमत्कारिक मंदिर है। इस मंदिर को लेकर कई सारी मान्यताएं और चमत्कार बताए गए हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में: (Photo: Machail mata/Facebook) -
मचैल माता मंदिर जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जो समुद्र तल से करीब 9 हजार से अधिक फीट की ऊंचाई पर मौजूद है। (Photo: Machail mata/Facebook)
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किसको समर्पित है
यह मंदिरमाता दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर को किसने बनवाया इसका आधिकारिक प्रमाण नहीं है। लेकिन जोरावर सिंह कहलुरिया और ठाकुर कुलवीर सिंह जैसे धार्मिक व्यक्तियों से जरूर मंदिर का इतिहास जुड़ा हुआ है। (Photo: Machail mata/Facebook) -
काफी चमत्कारी है मचैल माता मंदिर
मचैल माता मंदिर को मचैल चांदी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जम्मू कश्मीर के लोग इस मंदिर को चमत्कारी बताते हैं। स्थानीय लोगों के बीच ऐसी मान्यता हैं मंदिर में स्थित देवी अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन पर आई सारी विपदा को हर लेती हैं। (Photo: Machail mata/Facebook) -
किसने चढ़ाई थी चांदी की मूर्ति
मंदिर के अंदर गर्भगृह में मां चंडी एक पिंडी के रूप में विराजमान हैं। इसी के साथ दो मूर्तियां भी स्थापित हैं जिसमें से एक चांदी की है। कहा जाता है कि ये चांदी की मूर्ति काफी समय पहले जंस्कार जो लद्दाख बौद्ध मतावलंबी भोंटों ने चढ़ाया था। मूर्ति का नाम भी भोट मूर्ति है। (Photo: Machail mata/Facebook) -
पूरी हो जाती हैं मुरादें
साल 1947 में जब जंस्कार क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे में आ गया तो भारतीय सेना के कर्नल हुकम सिंह ने माता से मंदिर मांगी की जब वह जीत कर आएंगे तो मंदिर में भव्य यज्ञ के आयोजन के साथ देवी की धातु की मूर्ति स्थापित करेंगे। जंग जीतने के बाद उन्होंने यज्ञ के साथ ही मूर्ति भी स्थापित किया। (Photo: Machail mata/Facebook) -
इतने दिनों के लिए बंद हो जाता है कपाट
स्थानीय परंपरा के अनुसार मचैल माता मंदिर का कपाट 15 जुलाई से लेकर 25 जुलाई तक भक्तों के लिए बंद कर दिया जाता है। इस दौरान दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है। इसके बाद 25 जुलाई को विधिवत पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। (Photo: Machail mata/Facebook) -
कैसे पहुंचे
मचैल माता मंदिर तक पहुंचने के लिए काफी पैदल चलना पड़ता है। क्योंकि यहां तक वाहनों के लिए रास्ता नहीं है। भक्त पहाड़, झील और झरनों के बीच से होकर माता के मंदिर तक पहुंच पाते हैं। (Photo: Machail mata/Facebook) -
कब शुरू होती है यात्रा
बता दें कि, हर साल अगस्त में भद्रवाह से मचैल तक छोड़ी यात्रा का आयोजन किया जाता है जिसमें भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। (Photo: Machail mata/Facebook) वो मंदिर जहां पाकिस्तानी भी करते हैं आरती और लगाते हैं जयकारा
