-
कर्ण को सूत पुत्र के साथ दानवीर कर्ण के नाम से भी जाना जाता है। कर्ण महाभारत के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारियों में से एक थे। लेकिन क्या आपको पता है कि उनके धनुष का क्या नाम था और किसको मारने के लिए उन्होंने इसका इस्तेमाल किया था। (Photo: Bing AI Created Image)
-
अर्जुन और कर्ण दोनों ही महाभारत काल के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारियों में से एक थे। महाभारत युद्ध में कर्ण ने पांडवों के खिलाफ युद्ध कौरवों के लिए लड़ा था। (Photo: Bing AI Created Image)
-
कर्ण के पास जो धनुष था उसे परशुराम ने दिया था जिसका नाम ‘विजय’ था। इसी के चलते कर्ण को विजयीधारी भी कहा जाता है। वहीं, अर्जुन के पास गाण्डीव धनुष और दोनों के ही तरकश में सभी तरह के दिव्यास्त्र थे। लेकिन कर्ण का धनुष अर्जुन के धनुष से कहीं ज्यादा बेहतर बताया जाता है। (Photo: Bing AI Created Image)
-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कर्ण का धनुष अर्जुन के धनुष से श्रेष्ठ इसलिए बताया जाता है क्योंकि जब वो तीर छोड़ते थे तब उनका तीर अर्जुन के रथ पर लग जाता था और रथ कुछ दूर पीछे की ओर खिसक जाता था। वहीं, अर्जुन जब तीर चलाते थे तो कर्ण का रथ काफी पीछे खिसक जाता है। इसके बाद भी भगवान श्रीकृष्ण कर्ण की तारीफ करते थे। (Photo: Bing AI Created Image) रोज करते होंगे गायत्री मंत्र का जाप, पता है किस वेद में लिखा है?
-
यह देख अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा की जब वो तीर चलाते हैं तो कर्ण का रथ ज्यादा दूर तक चला जाता है जबकि, कर्ण के तीर से उनका रथ कुछ ही कदम खिसकता है। इसके बाद भी वो कर्ण की तारीफ क्यों करते हैं। (Photo: Bing AI Created Image)
-
इसपर अर्जुन से भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि, उनके रथ पर स्वयं हनुमानजी और वो विराजमान हैं इसके बाद भी कर्ण की तीर में इतनी क्षमता है कि वह हमारे रथ को कुछ कदम पीछे धकेल देता है। अगर हनुमानजी और वो उतर जाएं तो रथ का क्या होगा? (Photo: Bing AI Created Image)
-
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से यह भी कहा था कि कर्ण का विजय धनुष इतना शक्तिशाली है कि जब तक वो उनके हाथ में है तब तक तीनों लोकों के योद्धा अगर एक साथ आ जाए तो भी कर्ण को नहीं हरा सकते हैं। (Photo: Bing AI Created Image)
-
पौराणिक कथाओं के अनुसार विजय एक ऐसा धनुष था जो किसी भी प्रकार के अस्त्र या शस्त्र से खंडित नहीं हो सकता था। जब इससे तीर छुटती थी तब भयानक ध्वनि उत्पन्न होती थी। (Photo: Bing AI Created Image)
-
ये भी कहते हैं कि कर्ण का विजय धनुष मंत्रों से इस प्रकार अभिमंत्रित था कि वह जिस भी योद्धा के हाथ में होता था उसके चारों ओर एक ऐसा अभेद घेरा बन जाता था जिसे भगवान शिव का पाशुपतास्त्र भी नहीं भेद सकता था। (Photo: Bing AI Created Image)
-
विजय धनुष की प्रत्यंचा इतनी मजबूत थी कि उसे दुनिया का कोई भी अस्त्र और शस्त्र नहीं काट सकता था। (Photo: Bing AI Created Image)
-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध के 17वें दिन कर्ण ने अर्जुन से युद्ध के लिए पहली बार अपना विजय धनुष हाथ में उठाया था। आगे की कहानी जानने के लिए जनस्ता के फोटो गैलरी सेक्शन से जुड़े रहें: (Photo: Bing AI Created Image) रोज जपते होंगे श्रीराम-श्रीराम, पता है क्या था उनके धनुष का नाम?