भारत अभी तक हिंदू राष्ट्र नहीं बना है, लेकिन हिंदू राष्ट्र की कुछ झांकियां दिखने लगी हैं उन राज्यों में जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं। पिछले सप्ताह जैसे-जैसे क्रिसमस करीब आया बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के ‘सिपाही’ फैल गए। जिन मालों के बाहर क्रिसमस की सजावट की गई थी, उनके सामने ये ‘सिपाही’ प्रकट हुए तोड़फोड़ करने। जिन स्थलों पर ईसाई लोग इकट्ठा हुए थे ईसा मसीह के जन्मदिन को मनाने वहां भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिंदू परिषद के सदस्य पहुंच गए लोगों को टोकने। इन हरकतों के वीडियो सोशल मीडिया पर दिखे।
जबलपुर के एक गिरिजाघर में भारतीय जनता पार्टी की विधायक दिखीं एक दिव्यांग महिला को डांटती हुईं। विधायक गुस्से में चिल्ला रही थीं यह कहते हुए कि धर्मांतरण नहीं होने देंगी। दिल्ली से एक वीडियो दिखा, जिसमें कुछ बच्चे सेंटा क्लाज की लाल टोपी पहने हुए हैं। उनको पकड़ कर जबरदस्ती टोपियां उतारते दिखे हिंदुत्व के ‘सिपाही’ यह कहते हुए कि ‘क्रिसमस मनाना है, तो अपने घरों में जाकर मनाएं’।
अनुमान है कि ऐसी कोई साठ से लेकर सौ घटनाएं हुईं और तकरीबन सारी हुईं भाजपा शासित राज्यों में। एक भी घटना के बाद न किसी को दंडित किया गया और न ही किसी मुख्यमंत्री ने अपनी आवाज ऊंची करके इन हिंदुत्व के सिपाहियों को टोका। ईसाइयों की आबादी भारत में दो फीसद से भी कम है, लेकिन आज के ‘न्यू इंडिया’ में इनको क्रिसमस भी नहीं मनाने दिया जा रहा है, बावजूद इसके कि भारत का संविधान इजाजत देता है धार्मिक आजादी की।
हिंदू राष्ट्र की मजबूत जड़ें दिखती हैं अगर किसी राज्य में, तो वह है उत्तर प्रदेश। योगी आदित्यनाथ के शासन में एक कानून पारित किया गया है, जिसके तहत रिश्वत या शादी करके किसी का धर्मांतरण करना गंभीर अपराध है। इसकी सजा है सात साल जेल। नतीजा यह कि सौ से ज्यादा ईसाई लोग उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद हैं ‘जबरदस्ती धर्मांतरण’ करने की सजा भुगतते हुए। समस्या यह है कि साबित करना बहुत मुश्किल है कि धर्मांतरण जबरदस्ती किसी का हुआ है या उनकी मर्जी से।
मगर कानून इतना कड़ा है अब कि किसी को भी जेल भेजा जा सकता है। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था इतनी अजीब हो गई है कि एक तरफ धर्मांतरण को गंभीर अपराध माना जाता है और दूसरी तरफ हत्या तथा बलात्कार को इतना गंभीर अपराध नहीं! इसलिए योगी सरकार की कोशिश थी उन लोगों के खिलाफ मुकदमा वापस लेना, जिन्होंने मोहम्मद अखलाक को पीट-पीट कर मार डाला था बिसाहड़ा गांव में दस साल पहले। हिंसक भीड़ ने उसको और उसके बेटे को घर के अंदर से घसीट कर सड़क पर मारा इस शक पर कि उन्होंने अपने फ्रिज में प्रतिबंधित मांस रखा हुआ था।
कानून को हाथ में लेकर हत्या करने की यह पहली घटना थी मोदी के राज में। भीड़ में से अठारह लोगों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है जो सब जमानत पर हैं। पूरी तरह रिहा हो जाते आज अगर अदालत ने दखल देकर उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को पलट न दिया होता। पिछले सप्ताह कुलदीप सिंह सेंगर की सजा कम की दिल्ली की एक अदालत ने। भाजपा के इस विधायक को उम्रकैद की सजा दी गई थी 2017 में एक नाबालिग बच्ची से उन्नाव में बलात्कार करने के लिए।
जांच अधिकारी के खिलाफ दर्ज हो एफआईआर, उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता ने की मांग
दिल्ली की अदालत ने कम की सजा इस आधार पर कि पाक्सो के तहत विधायक को सरकारी अधिकारी नहीं माना जा सकता है। सेंगर जेल में ही रहेगा इसलिए कि जिस बच्ची का बलात्कार किया था उसने, उसके पिता की हत्या भी की थी। पिछले सप्ताह राहुल गांधी से मिल कर इस बच्ची और उसकी मां ने किसी कांग्रेस शासित राज्य में बसाने की गुहार लगाई थी। वह पीड़ित अब शादीशुदा है, लेकिन उसने बयान दिया कि जब उसने सेंगर की सजा कम किए जाने की खबर सुनी, तो उसके मन में आत्महत्या करने का विचार आया।
योगी आदित्यनाथ गर्व से अपने आपको बुलडोजर बाबा कहते हैं, लेकिन उनके बुलडोजर कभी हिंदू अपराधियों के घर तोड़ने नहीं पहुंचते हैं। मुसलमानों के घर टूटते हैं बिना उनके अपराध को किसी अदालत में साबित किए हुए। हिंदुओं को रिहा किया जाता है, तब भी जब उनके खिलाफ अदालतों में फैसले सुनाए जाते हैं। क्या ऐसी उल्टी-पुल्टी होगी हिंदू राष्ट्र में कानून प्रणाली?
क्या धर्म को देख कर जेल भेजे जाएंगे लोग? क्या धर्म को देख कर बुलडोजर पहुंचेंगे लोगों के घर तोड़ने बावजूद इसके कि सर्वोच्च न्यायालय ने ‘बुलडोजर न्याय’ को गलत कहा है? कौन जाने कि कभी पूरे भारत को हिंदू राष्ट्र में तब्दील कर पाएंगे भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार, लेकिन अभी से मालूम हो गया है कि ऐसे राष्ट्र में सिर्फ हिंदुओं को अव्वल दर्जे का नागरिक माना जाएगा।
अभी से मालूम होने लगा है कि धर्मनिरपेक्षता और बहुलवाद की कोई जगह नहीं होगी हिंदू राष्ट्र में। कहने का मतलब यह है कि भारत के संविधान के लिए इस हिंदू राष्ट्र में कोई जगह नहीं होने वाली है और ऐसा अगर होता है कभी, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के अंदर उतनी ही अराजकता देखने को मिलेगी जो आज दिखती है बांग्लादेश और पाकिस्तान में।
इन देशों का नाम आ ही गया है, तो क्यों न संघ परिवार से यह भी पूछा जाए कि जब आप अखंड भारत की बातें करते है, क्या याद यह नहीं रहता कि भारत अगर अखंड होता तो उसमें मुसलिम आबादी हिंदुओं से अधिक न होती? सवाल महत्त्वपूर्ण है इसलिए कि लगता है कि हिंदुत्व के इन पहरेदारों ने गहराई से सोच कर अपनी विचारधारा नहीं तैयार की है। तैयार की गई है नफरत को आधार बना कर जो अक्सर कमजोर आधार साबित होता है।
