हम जिस दौर में जी रहे हैं, वहां हर कोई तेजी से आगे बढ़ने की दौड़ में लगा है। पढ़ाई, नौकरी, करिअर और रिश्ते – हर जगह प्रतिस्पर्धा इतनी गहन हो गई है कि युवा पीढ़ी को अक्सर तनाव, दबाव और असंतोष का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में आभार व्यक्त करने की आदत एक साधारण-सी लग सकती है, लेकिन इसका असर असाधारण है। आभार जीवन की राह मोड़ सकता है, सोच की दिशा बदल सकता है और व्यक्ति को वह ऊर्जा दे सकता है, जिसकी तलाश वह हर जगह कर रहा होता है।
आभार केवल किसी को धन्यवाद कहने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक नजरिया है। जब हम यह स्वीकार करते हैं कि हमारे जीवन में कितनी चीजें ऐसी हैं, जो हमें खुशी, सहयोग और समर्थन प्रदान करती हैं, तब हमारी दृष्टि समस्याओं से हटकर संभावनाओं पर केंद्रित हो जाती है। यह छोटा-सा बदलाव हमारे व्यक्तित्व में गहरी शांति और आत्मविश्वास जगाता है।
युवा होने के नाते जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं। असफल परीक्षाएं, बेरोजगारी, टूटते रिश्ते या किसी सपने का पूरा न होना—ये सब परिस्थितियां युवाओं को हताश कर सकती हैं। मगर इन अनुभवों को एक आभारपूर्ण दृष्टिकोण से देखा जाए, तो हर असफलता एक सबक बन सकती है।
आभार का लाभ यह है कि यह मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है। जो युवा छोटी-छोटी उपलब्धियों या सहयोग के लिए धन्यवाद प्रकट करते हैं, उनके भीतर आत्मविश्वास और उम्मीद बनी रहती है। वे तनाव से जल्दी उबर जाते हैं और चुनौतियों का सामना दृढ़ता से कर पाते हैं। अनेक मनोवैज्ञानिक शोधों ने यह सिद्ध किया है कि कृतज्ञता का भाव रखने वाले लोग अवसाद से कम ग्रस्त होते हैं और जीवन को अधिक आनंदपूर्वक जीते हैं।
रिश्तों में भी आभार का महत्त्व अत्यधिक है। युवा पीढ़ी के लिए मित्र और परिवार जीवन के हर कदम पर सहारा होते हैं, लेकिन व्यस्तता और तनाव के कारण अक्सर हम इसे भूल जाते हैं। एक साधारण-सा ‘धन्यवाद’ या स्नेहपूर्ण व्यवहार विश्वास को गहराई देता है। जब हम अपने माता-पिता, दोस्तों या शिक्षकों का आभार मानते हैं, तो उन्हें यह अहसास होता है कि उनकी भूमिका हमारे जीवन में कितनी मूल्यवान है। यह छोटा-सा कदम रिश्तों को और अधिक मजबूत बना देता है।
जीवन के बड़े व्यक्तित्व भी आभार की आदत को सफलता की कुंजी मानते रहे हैं। महात्मा गांधी ने कहा था कि वे अपने विरोधियों के प्रति भी कृतज्ञ रहे, क्योंकि उन्हीं की वजह से उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व अधिक गहराई से समझ आया। नेल्सन मंडेला ने जेल की कठिनाइयों को आभार की दृष्टि से देखा और उन्हें ताकत में बदल दिया। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि आभार केवल आसान परिस्थितियों में ही नहीं, बल्कि विपरीत हालात में भी सहारा देता है।
युवा पीढ़ी के लिए यह समझना भी आवश्यक है कि आभार केवल दूसरों के लिए नहीं, बल्कि स्वयं के लिए भी जरूरी है। जब कोई युवा अपनी मेहनत, अपनी कोशिशों और अपने साहस का सम्मान करना सीखता है, तो वह आत्मविश्वास से भर उठता है। स्वयं से आभार व्यक्त करना आत्म-विकास की दिशा में उठाया गया सबसे महत्त्वपूर्ण कदम है।
आज की तेज रफ्तार दुनिया में अक्सर युवा अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों को नजरअंदाज कर देते हैं। वे केवल बड़े लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और निराश हो जाते हैं, जब वे जल्द ही पूरे नहीं होते। ऐसे में आभार का अभ्यास यह सिखाता है कि हर छोटी सफलता, हर सहयोग और हर अवसर की महत्ता समझी जाए। यही दृष्टिकोण युवाओं को धैर्यवान और संतुलित बनाता है।
एक और बड़ा पहलू यह है कि आभार समाज में सकारात्मकता का वातावरण बनाता है। जब युवा सहयोग के लिए धन्यवाद देते हैं या किसी अच्छे कार्य की सराहना करते हैं, तो वे दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। इस प्रकार एक छोटी-सी भावना समाज में विश्वास, सद्भाव और सहअस्तित्व को बढ़ावा देती है।
अगर हम थोड़ा समय आभार प्रकट करने में दें, तो जीवन अद्भुत रूप से बदल सकता है। यह आदत डायरी लिखने, प्रार्थना करने या सिर्फ उन पलों को याद करने से शुरू हो सकती है, जिनके लिए हम आभारी हैं। धीरे-धीरे यह हमारी सोच और व्यवहार का हिस्सा बन जाती है। भीतर की शांति, रिश्तों में गरमाहट और भविष्य के लिए उत्साह जगाती है।
आभार व्यक्त करना जीवन की कठिनाइयों को मिटा नहीं देता, लेकिन यह उनकी कठोरता को कम कर देता है। यह हमें यह देखने की क्षमता देता है कि हर परिस्थिति में कुछ न कुछ अच्छा छिपा हुआ है। इसलिए युवा पीढ़ी के लिए सबसे बड़ी सीख यही है कि आभार केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है। यही दृष्टिकोण उन्हें आगे की कठिन राहों में आत्मविश्वास देगा और उनकी जिंदगी की दिशा सही दिशा में मोड़ देगा।
